आखिर क्या हैं कमलनाथ....?

 

मध्यप्रदेश की राजनीति में कितने मुफीद साबित होंगे ?
दस दिन का मुख्यमंत्री
खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और पिछले आठ माह से मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर विराजे कमलनाथ इक अनसुलझी पहेली बने हुए हैं । आखिर क्या है कमलनाथ ? क्या मध्यप्रदेश की राजनीति में भरोसेमंद बल्लेबाज के तौर पर स्थापित हो पाएंगे ? एक विश्लेषण

मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनते ही पूरी कांग्रेस सहित मीडिया विश्लेषक और भारतीय जनता पार्टी मान रही थी कि चुनाव रोचक होंगे ।  जहां  कार्यकर्त्ता कांग्रेस आलाकमान के इस निणय से भाजपा की चौथी बार सरकार बनने की संभावना से हताश हो चले थे । वहीं भाजपा उत्साहित हो उठी कि मुकाबला आसान हो गया है। मीडिया विश्लेषक यह मान रहे थे कि अब मध्यप्रदेश के चुनावी समर में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस भी अपनी धन की पोटली दिल खोलकर खर्च करेगी । कमलनाथ ने सारे अनुमानों को धत्ता बता दिया । कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारीयों को सीमित संसाधन के उपयोग करने के निर्देश और कार्यकर्ताओं से सिर्फ सामान्य मुलाकात , और मीडिया से सीमित मुलाकात। टिकिट वितरण में खुलकर गुटबाजी । अंततः और डर व्याप्त हो गया कि बाजी अब तो हाथ से फिसलने में कोई देर नहीं।  
पर बाजी पलट गई । 
हालात अब भी सामान्य नहीं । मुख्यमंत्री का चयन   । मंत्रिमंडल का गठन । विभागों का वितरण । तमाम विवाद साथ साथ चल रहे थे ।
यहां भी कांग्रेस की गुटबाजी पीछा छोड़ने तैयार नहीं । मुख्यमंत्री के चयन को लेकर दिल्ली में विवाद । अंततः फैसला कमलनाथ के पक्ष में ।इधर कमलनाथ ने शपथ लेते ही कांग्रेस के प्रमुख मुद्दे किसानों के कर्ज माफ और चार अन्य निर्णयों को लेकर जो अपने अंदाज और तेवर दिखाए उससे यह बात नजर आई की कमलनाथ तेजी के साथ काम करने में विश्वास रखते हैं । लेकिन मंत्रिमंडल गठन और उसके विभाग वितरण को लेकर कमल नाथ की कार्यशैली पर भाजपा सहित जनता में सवाल खड़े होना शुरू हो गए । मीडिया में गुटबाजी में निरीह और असहाय कमलनाथ नजर आने लगे ।  मंत्रिमंडल के गठन और विभाग वितरण को लेकर कमलनाथ एक बार फिर अपनी बात सबसे मनवाते नजर आए ।
अगर बात मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर की जाए तो एक नजर में मंत्रिमंडल के मलाईदार विभाग मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह और मध्य प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट में जाते हुए नजर आते हैं लेकिन अगर सूक्ष्म विश्लेषण किया जाए तो यह बात नजर आती है कि मंत्रिमंडल का संतुलन बनाने में देर जरूर हुई पर कमलनाथ ने घुटने नहीं टेके । प्रदेश के प्रमुख विभाग कमलनाथ ने अपने पास और अपने चहेतों को देने में सफलता पाई । आखिर क्या कारण है कि कमलनाथ अपनी मुहिम में सफल हो पाए । जब इसको लेकर कांग्रेस और सरकार में बैठे प्रमुख लोगों से इस बाबत चर्चा की तो कमलनाथ का एक अलग ही अंदाज नजर आया ।
कमलनाथ की सबसे बड़ी खूबी समय का प्रबंधन है । वह हर काम अपने समय सीमा के अंदर तय करना पसंद करते हैं । जो उन्हें अन्य नेताओं से आगे ले जाती है ,तो कई लोगों के बीच उन्हें बुरा भी बना देती है ।
दूसरी खूबी के तौर पर कमल नाथ के काम लेने की शैली नजर आई । अगर सामने दो विरोधी भी खड़े हो तो कमलनाथ उनसे काम लेने में सफल होते हुए नजर आए । मध्य प्रदेश के कई अधिकारी सत्ता परिवर्तन होते ही यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें अब लूप लाइन में जाना पड़ेगा । इसकी वजह यह थी कि वह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते अधिकारियों में शुमार किए जाते थे । लेकिन कमलनाथ ने अधिकारियों को उनकी योग्यता अनुसार अन्य जगह पदस्थ कर अपनी दूसरी क्षमता का परिचय दिया । जिसकी तारीफ मध्य प्रदेश से सेवानिवृत्त होने जा रहे मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को भी करना पड़े कि मुझे कमलनाथ जी के साथ काम करने के लिए कम समय में मिल पाया । इसी तरह की सफलता उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव,अजय सिंह के बीच तालमेल बिठाकर काम लेने में दिखाई।
कमलनाथ की एक खूबी और है कि वे उन्हें बताए गए काम लिख लेते हैं जिसे प्राथमिकता के साथ पूरा कराने के लिए संबंधित व्यक्ति को सौंप देते हैं कमलनाथ के साथ काम करने वाले अधिकारियों ने बताया कि वह काम को बांटने के साथ ही समय सीमा और उसमें संबंधित व्यक्ति को सौपे गए नाम का उल्लेख भी कर देते हैं जिसे बाद में फॉलो अप के तौर पर मॉनिटर करते हैं
कमलनाथ की एक और खूबी के तौर पर दबाव में ना आना और तनाव न पालने की क्षमता भी नजर आई । सहयोगी अधिकारियों का कहना था कि निर्णय के पूर्व  वे सभी पक्षों से संतुष्ट होने के बाद ही अपने निर्णय को आगे लाते हैं । इसी के साथ ही निर्णय लेने के पूर्व सुक्ष्म  तरीके से विचार (भले ही देर लगे ) और उसे तेजी के साथ लागू करना कमलनाथ की मुख्य आदतों में शुमार है ।
इस दौरान वे कभी भी तनाव में नजर नहीं आए । जो उनके कद और पद के हिसाब से एक प्रमुख विशेषता के तौर पर नजर आई ।
बात के धनी और विकास की कसक कमल नाथ की अन्य खूबी के तौर पर नजर आती है । मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही किसानो के कर्जा माफी का निर्णय और विकास की अवधारणा को लागू करने में मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल का गठन एवं विभाग वितरण में इसकी झलक देखी जा सकती है ।

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