ग्राउंड वाटर के बारे में भी गंभीरता से सोचने का वक्त

- क्‍योंकि आप सब जानते हैं कि जल है तो कल है…

मध्यप्रदेश पुलिस में अपनी सेवाएं देने के बाद इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सहयोगी बतौर प्रवीण कक्कड़ ने नई पहल की है । सामाजिक सरोकारों को लेकर प्रति सप्ताह वे एक विषय पर लिख रहे हैं । इंदौर में थर्ड आई सिक्योरिटी सर्विसेज के संस्थापक व संरक्षक की इस भूमिका को खबर नेशन ने अपने डिफरेंट स्ट्रोक्स में शामिल किया है । इस बार जल संरक्षण पर लेख

इस बार मध्यप्रदेश में पर सामान्य वर्षा हुई है। हालांकि ग्वालियर और भिंड के आसपास के इलाकों को बाढ़ से जूझना पड़ा, तो निमाड़ के कई इलाकों को सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ा, फिर भी प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में पर्याप्त बारिश हुई। अच्छी बारिश का मतलब हुआ अच्छी खेती और हम शहरी लोगों के लिए जून के महीने तक पीने के लिए पर्याप्त पानी का इंतजाम।

तालाब और बांध भर जाने से खेती के लिए और पीने के लिए दोनों ही जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी मिल जाता है लेकिन हमारी एक बड़ी आबादी ऐसी है जो पीने के लिए या दूसरे कामों के लिए भू जल का उपयोग करती है। भूजल यानी धरती के भीतर का पानी, जिसे हम पंप से खींचते हैं या हैंडपंप से निकालते हैं, या गहरा बोर करके निकालते हैं। प्रदेश के बहुत से इलाकों में भूजल का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है, खासकर शहरों की कालोनियों में तो पानी बहुत तेजी से गिर रहा है। औद्योगिक इलाकों का हाल इससे भी बुरा है।

भूजल कुछ हद तक तो बरसात के पानी से प्राकृतिक रूप से ही रिचार्ज हो जाता है, लेकिन अब हमारे शहरों की बनावट इस तरह की हो गई है कि बरसात का पानी अपने आप शहरी जमीन में पक्की सड़कें, पक्के मकान और दूसरे सीमेंट के स्ट्रक्चर के कारण जमीन के अंदर जा नहीं पाता है। जब वर्षा का पानी भूजल के रूप में जमीन में नहीं जा पाता है तो जमीन के अंदर बहने वाली गुप्त जलधाराएं, जिन्हें हम एक्वाफिर कहते हैं, वह भी काम नहीं कर पाते हैं। यानी भूजल का धरती के अंदर एक जगह से दूसरी जगह जाने का सिलसिला रुक जाता है। यह सभी शहरों की सबसे बड़ी चुनौती है।

तो इसका उपाय क्या किया जाए। इसका अभी सबसे अच्छा उपाय तो यह है कि जो भी नई कॉलोनियां बनें, जो भी नए कमर्शियल कॉम्‍पलेक्स बनें या कोई भी इमारत हम बनाएं, उसमें ग्राउंड वाटर रिचार्ज सिस्टम जरूर लगाएं। इसके अलावा जिन लोगों के घर पहले से बने हुए हैं, वे लोग भी ग्राउंडवाटर रिचार्ज सिस्टम अपने घरों में लगवा सकते हैं। इससे फायदा यह होता है कि बरसात में जो पानी आपके घर की छत पर गिरता है, कम से कम वह पूरा का पूरा पानी आप अपने घर और आसपास की जमीन के अंदर डाल सकते हैं। इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर आपके आसपास ही रिचार्ज होता है, जिससे आपके यहां की वाटर टेबल अपेक्षाकृत धीमे धीमे नीचे जाती है। अगर आप बोरिंग के जरिए पानी नहीं निकाल रहे हैं तब तो आपके पास का भूजल ऊंचा हो जाता है।

पुराने जमाने में कुएं और बावड़ी साल भर पानी पिलाने के साथ ही वर्षा के समय में ग्राउंडवाटर रिचार्ज करने का काम भी करते थे। घरों के आसपास बने पोखर भी यह काम किया करते थे। अब चूंकि पोखर या तालाब या कुएं को पुनर्जीवित करने का काम तो कोई बड़ी संस्था या सरकार ही कर सकती है, ऐसे में व्यक्तिगत रूप से ग्राउंड वाटर रिचार्ज पिट लगाकर हर व्यक्ति पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है।

पानी को रिचार्ज करने से सिर्फ इतना ही फायदा नहीं होगा कि वाटर टेबल रिचार्ज हो जाए, बल्कि इससे पानी की क्वालिटी भी इंप्रूव होती है। क्योंकि वाटर टेबल नीचे होने पर दूसरे तत्वों का पानी में घनत्व बढ़ जाता है जो पीने के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं बचता। इससे बहुत तरह की बीमारियां होती हैं और इलाज पर खर्च करना पड़ता है। स्वास्थ्य खराब होता है सो अलग।

आप सब जानते ही हैं कि जल है तो कल है। हमारी सभ्यता और संस्कृति नदियों के किनारे यानी जल के किनारे ही विकसित हुई है। और हमारी कई राजधानियां इसीलिए उजड़ी गई कि वहां पर पानी उपलब्ध नहीं था। हम अपने इतिहास से सबक सीखें और पानी को बचाकर अपने जीवन को भी बचाएं।

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