आखिर क्यों नहीं लड़ना चाहते बाबूलाल गौर ...?

गोविन्दपुरा से परिवार के किसी सदस्य की भी नहीं करेंगे तरफदारी 

खबरनेशन / Khabarnation

मध्यप्रदेश भाजपा के सब से सीनीयर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने आज कहा कि उन्होंने अगला विधान सभा चुनाव लडने का फैसला अपनी पार्टी पर छोड दिया हैं। खबर नेशन के अरविन्द शर्मा से लंबी बातचीत में भाजपा के नेता ने कहा कि इस से पहले वो 10 बार विधान सभा के लिये चुनाव जीत चुके हैं तथा उनकी और चुनाव लडने की बहुत ज्यादा इच्छा नहीं हैं। इसके बाद भी उन का यह कहना था कि अगर पार्टी उन को टिकट दे देगी तो वे जरूर चुनाव लडेंगे। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी उन से प्रचार करने के लिये कहेगी तो वे यह करने को तैयार हैं और फिर यह भी कहा कि मैं कार्यकर्ता के रूप में पार्टी की सेवा करूंगा। कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में मंत्रिमंडल से रूखसत किये जाने की तर्ज पर कोई षड़यंत्र तो नहीं हो रहा हैं को लेकर उन्होंने कहा कि जब जब मेरे खिलाफ कोई षड़यंत्र हुआ तो मैंने पार्टी के समक्ष अपनी बात रखी और आला नेताओं ने मेरी बात को तवज्जों दी। उन्होंने 2003 में टिकिट काटे जाने के प्रयास भरे घटनाक्रम को बताया भी और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपयी जी के निर्णय की सराहना भी की। 

बीते दिनों उम्र का हवाला देकर मंत्री पद से हटाये गए मामले में संगठन के आला नेताओं से अपनी बात कहने वाले श्री गौर का कहना था कि कार्यकर्ता एक ऐसा पद हैं जो उन से कोई भी छीन नहीं सकता हैं। यह पूछे जाने पर कि अगर वो चुनाव नहीं लडेंगे तो वे किस को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहेंगें तो उन्होंने कहा मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं हैं। गौर जो कि कुछ समय के लिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन एक ऐसे मजदूर के रूप में शुरू किया था जब वो तीन अन्य लोगों के साथ एक ही कमरे में रहा करते थे।

भूतपूर्व मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्रियों के परिजनों लगाये गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर गौर ने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे अपने परिजनों को यह कहकर बंद करवा दिये थे कि आप अपनी रोजी रोटी से संबंधित सारे कार्य निज आवास से करें। मेरे कार्य में दखलंदाजी और सरकारी अफसरों पर मेरे नाम का उपयोग ना करें। उन्होंने तल्ख अंदाज में यह भी कहा कि जब मैं कुछ नहीं था तो मुझे कई रिश्तेदार पहचानते नहीं थे। लेकिन जब किसी पद पर आ गया तो गांव भर के लोग अपना रिश्ता ढूंढकर मेरे पास आ गये। इन बातों पर आप स्वयं ही रोक लगा सकते हैं।

देश के हालात पर चर्चा करते हुए श्री गौर ने कहा कि इस देश में आम आदमी को अपने अंदर ईमानदारी की भावना लाना होगी। यह एक अकेले नरेन्द्र मोदी के बस की बात नहीं हैं। हजारों नरेन्द्र मोदी की जरूरत पड़ेगी। असल  में हम स्वयं भ्रष्ट हैं। उनका ईशारा समाज में व्याप्त भ्रष्ट मानसिकता को लेकर था।

उनका कहना था कि उस समय से ले कर अब तक उनको सब कुछ हासिल हो गया हैं और अब ज्यादा पाने की उनकी कोई हसरत नहीं हैं। अंत में यह बताना जरूरी हैं कि अब  गौर की उम्र 86 साल की हैं।

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