मुख्यमंत्री का शांति मार्च गुटीय संघर्ष मार्च बना : आलोक संजर


खबर नेशन
 

       भोपाल। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में कांग्रेस और मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे है। उनका विरोध नीतिगत आधार पर किसी भी प्रकार से ठीक नही है। कमलनाथ के शांति मार्च को जनता के साथ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह ने अपने भाई लक्ष्मण सिंह के कारण किनारा कर यह बता दिया कि वे उनकी बात से इतेफाक नही रखते। मुख्यमंत्री का संविधान बचाओ शांति मार्च सिर्फ गुटीय संघर्ष मार्च था। यह बात पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री आलोक संजर ने कही।

       श्री आलोक संजर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की अपना आधार खो चुकी है तथा वह कई धड़ों में बंटी हुई है। इसके कारण वह अपने बूते ढंग से विरोध प्रदर्शन भी नहीं आयोजित कर पा रही। इसके लिए भी उसे बाहरी लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है। श्री संजर ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शांति मार्च को लेकर जो दावे किए थे वो सब धराशाई हो गए। मार्च में कांग्रेस के नेता, विधायक और मंत्रियों ने भी किनारा कर लिया। जबकि मुख्यमंत्री ने सभी को एकत्रित होने के फरमान जारी किए थे। उसके बावजूद पूरे प्रदेश से मुट्ठी भर लोग एकत्रित हुए। उन लोगो को भी यह नही पता था कि वो क्यों और किसके विरोध में आये है।

       उन्होंने कहा कि शांति मार्च को लेकर बड़े दावे किए जा रहे थे लेकिन यह मार्च हकीकत हासिल नही कर सका। उन्होंने कहा कि मार्च में कई लोगों की जेब कट गई। उन्हें परेशान होना पड़ा, यातायात प्रभावित हुआ। कांग्रेस के शांति मार्च जनता के लिए अशांति मार्च रहा।

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