बीमा ना फिटनेस, टैक्सी बनाकर चला रहे एंबुलेंस


- स्वास्थ विभाग की एंबुलेंस में कई गड़बड़ झाले
- अस्पतालों का मरीजों की जान से खिलवाड़
अभिषेक श्रोती होशंगाबाद
खबर नेशन/ Khabar Nation
होशंगाबाद। स्वास्थ्य विभाग और प्राइवेट अस्पताल की एंबुलेंस मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही है। अधिकांश एंबुलेंस नियम विरुद्ध सड़कों पर दौड़ रही हैं। स्थिति यह है कि सरकारी और निजी अस्पतालों द्वारा टैक्सी कोटे के वाहन तक एंबुलेंस बना दिए गए हैं। जबकि परिवहन विभाग की गाइड लाइन के अनुसार इमरजेंसी चिकित्सा किट सुविधा से युक्त नए वाहन को विशेष नंबर देकर एंबुलेंस के नाम से रजिस्ट्रेशन किया जाता है। जो वैध एंबुलेंस की पहचान होती है। परिवहन विभाग एंबुलेंस को डीबी(DB) सीरीज से जिले में रजिस्टर्ड करता है। पुराने टैक्सी कोटे के वाहनों को एंबुलेंस में  परिवर्तित किया जा सकता है लेकिन ऐसे गिने चुने वाहन ही है। इधर देखें तो अवैध रूप से संचालित टैक्सी कोटे के वाहन धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसमें निजी अस्पतालों के साथ स्वास्थ विभाग के सरकारी वाहन भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के सरकारी और अनुबंधित वाहनों का तो यह हाल है कि उनका सालों से फिटनेस टेस्ट और बीमा नहीं हुआ है। इन अवैध वाहनों से मरीजों की जान आफत में है तो सरकार को भी टैक्स के रूप में राजस्व का नुकसान हो रहा है।

जांच की तो 1 लाख टैक्स मिल गया
गुरुवार को जिला परिवहन अधिकारी मनोज तेंगुरिया के साथ विभाग की टीम ने जिला अस्पताल पहुंच कर वहां खड़ी 8 सरकारी और निजी अस्पतालों की एंबुलेंस के दस्तावेजों की जांच पड़ताल की। इसमें कई एंबुलेंस गाड़ियों में कमी मिली। मौके पर एक एंबुलेंस टैक्सी कोटा के नंबर की मिली। एक एंबुलेंस के दस्तावेज अधूरे थे। जांच के बाद एक ही एंबुलेंस पर एक लाख रुपए का टैक्स बकाया मिला। सभी को जब्त तक कर परिवहन विभाग ले जाया गया। परिवहन अधिकारी ने प्राइवेट केशव हॉस्पिटल की एंबुलेंस के दस्तावेज भी वहां पहुंचकर जांचें।

सांठगांठ का ध्यान, नियमों का नहीं
स्वास्थ विभाग में जिलेभर में इमरजेंसी सुविधा के नाम पर करीब 55 वाहन संचालित हो रहे हैं। जिला अस्पताल करीब 15 वाहन इमरजेंसी सुविधा के रूप में संचालित है। इसमें से अधिकांश वाहनों का सालों से फिटनेस और बीमा नहीं है। वही कुछ निजी अनुबंधित वाहन टैक्सी कोटे में रजिस्टर्ड है। एक हफ्ता पहले जिला परिवहन विभाग ने एंबुलेंस गड़बड़ियों की शिकायत पर जिला स्वास्थ विभाग से एंबुलेंस के फिटनेस बीमााा सहित अन्य दस्तावेज मांगे। लेकिन यहां अधिकारी, डॉक्टर और बाबुओं को इसके संचालन के नियम तक नहीं पता है। जबकि प्राइवेट अस्पताल के एजेंटों से सांठगांठ के हर तरीके डॉक्टर से लेकर बाबू तक को पता है। सिविल सर्जन ऑफिस सीएमएचओ ऑफिस द्वारा एंबुलेंस अनुबंध करने का हवाला देता है तो वहां के अधिकारी सिविल सर्जन की निगरानी में एंबुलेंस संचालन की बात करतेे हैं। 

अवैध संचालित वाहनों की होगी धरपकड़
- जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर करीब 50 से 60 वाहन इमरजेंसी सुविधा के नाम पर एंबुलेंस की सुविधा दे रहे हैं। इसमें से अधिकांश के पास सालों से फिटनेस, बीमा तक नहीं है। कई वाहन टैक्सी कोटे में ही रजिस्टर्ड है। अधिकांश वाहनों पर लाखों का टैक्स बकाया है। एंबुलेंस संचालक फिटनेस सहित अन्य टैक्स जल्द से जल्द नहीं चुकाएंगे तो इनकी धरपकड़ की जाएगी और कड़ी कार्रवाई होगी। 
- मनोज तेंगुरिया जिला, परिवहन अधिकारी होशंगाबाद

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