वाह शिवराज वाह तुम सही कब थे तब या अब ?

मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल का गठन,  नरोत्तम मिश्रा, तुलसी सिलावट , कमल पटेल, गोविंद राजपूत, मीना सिंह मंत्री बनें 
अनेक मोर्चे पर परास्त हुए शिवराज
खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का गठन कर दिया । पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है और अभी 29 मंत्री और बनाएं जा सकते हैं ।
मंत्रिमंडल में डॉ नरोत्तम मिश्रा , कमल पटेल, मीना सिंह और कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा की सरकार बनवाने ( कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरवाने ) में अहम भूमिका निभाने वाले 22 में से सिर्फ दो तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को शामिल किया गया है ।
मंत्रिमंडल गठन के साथ ही राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि लगभग एक माह तक बिना मंत्रियों के सरकार चलाने वाले शिवराज सही थे या मजबूरी में पांच मंत्री बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान सही है । मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उस समय अपदस्थ हुई जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण अपने पैर पसार चुका था । मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी । जिसके चलते शिवराज सिंह चौहान ने अकेले शपथ ली और वे जानबूझकर मंत्रिमंडल का गठन टालते रहे । कोरोना संक्रमण से हालात अभी भी ख़राब है और जिन संवैधानिक मुद्दो को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने-सामने थी वह आज भी मौजूद है । संविधान के अनुसार न्यूनतम बारह मंत्री बनाए जाना आवश्यक है ।इस बात को लेकर जितनी नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायकों में देखी जा रही थी उतनी ही घबराहट में सिंधिया गुट भी दबाव बनाएं हुए था। अंततः पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल गठन किया गया । जिसके चलते यह माना जा रहा है कि शिवराज इस बार स्वतंत्रता पूर्वक सरकार नहीं चला पाएंगे ।
कांग्रेस की परंपरागत गुटबाजी सार्वजनिक होती रहती थी, लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी की भरसक तौर पर दबा छुपाकर रखी गई गुटबाजी आज सार्वजनिक हो गई । डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने एवं भाजपा के विधायकों को एक रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के चलते शामिल किया गया है । भाजपा के अंदर रहकर रेत माफियाओं ( रेत माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप शिवराज पर लगते रहे हैं )के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कमल पटेल को शिवराज के विरोधी गुट के दबाव में शामिल किया गया है । मीना सिंह को आदिवासी क्षेत्र से प्रतिनिधित्व के तौर पर शामिल किया गया है । इस मामले में माना जा सकता है कि वे शिवराज सिंह चौहान की पसंद हैं । चौहान किसी वरिष्ठ आदिवासी भाजपा विधायक को शामिल कर सकते थे लेकिन नरोत्तम मिश्रा और कमल पटेल की राजनीतिक एवं प्रशासनिक योग्यता के मुकाबले मीना सिंह अपना कद बढ़ाना तो दूर एक स्थिति में ही बनाएं रखने में सफल रह पाईं तो बड़ी बात होगी ।
तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को सिंधिया समझौते के तहत शामिल किया गया है।
इसी के साथ ही एक सवाल और खड़ा हो गया है कि अगर पांच मंत्री बनाए जा सकते थे तो चौतीस मंत्रियों को शपथ क्यों नहीं दिलाई गई । पांच मंत्रियों को शपथ दिलाने के क्राइटेरिया के चलते कई वरिष्ठ भाजपा विधायक नाराज़ हो गये हैं ।
कल देर रात तक पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का नाम शपथ लेने वाले मंत्रियों में शामिल था लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने अपने खासुलखास पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की जिद के आगे गोपाल भार्गव का नाम हटा दिया । गौरतलब है कि गोपाल भार्गव मौजूदा विधायकों में सर्वाधिक बार आंठवी दफा चने गये एकमात्र विधायक हैं ।
गौरतलब है कि भाजपा के पास वर्तमान में 107 विधायक हैं । जिनमें आठ बार के एक , सात बार के तीन , छह बार के पांच , पांच बार के आठ विधायक ( कांग्रेस छोड़कर इस्तीफा दिए हुए बिसाहू लाल सिंह अतिरिक्त हैं), चार बार के निर्वाचित विधायकों में ग्यारह हैं । इसी के साथ ही तीन बार चुनकर आने वाले विधायकों में तेईस विधायक शामिल हैं । दूसरी बार के निर्वाचित विधायकों की संख्या अठ्ठाईस है । पहली बार 29 विधायक चुनकर आए हैं। 
मंत्रिमंडल गठन में अगर सिंधिया समझोते को अलग कर दिया जाए तो योग्यता को दरकिनार करते हुए भाजपा के मूल कार्यकर्ता की जबरदस्त उपेक्षा की गई है । अगर यह कहा जाएं कि शिवराज सिंह चौहान का मंत्रिमंडल गठन सत्ता की बंदरबांट साबित हुआ है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।

 

Share:


Related Articles


Leave a Comment