तो शिवराज को खुद अपना निलंबन या बर्खास्तगी आदेश जारी कर देना चाहिए !


माफिया सिर्फ आम आदमी या गुंडा नहीं होता राजनेताओं के परिजनों और अफसरों की सहभागिता का समुह होता है 

खबर नेशन / Khabar Nation

माफिया सिर्फ आम आदमी या गुंडा नहीं होता राजनेताओं के परिजनों और अफसरों की सहभागिता का समुह होता है । अगर इस बात को शिद्दत के साथ स्वीकार कर लिया जाए तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को स्वयं अपने हाथों से अपना निलंबन और बर्खास्तगी आदेश जारी करने पर मजबूर होना पड़ जाएगा । शिवराज इस तथ्य को भरपूर शिद्दत के साथ स्वीकार करते हैं लेकिन अपना ही निलंबन और बर्खास्तगी आदेश जारी नहीं कर सकते । क्योंकि इस माफिया में स्वयं उनके परिजन संरक्षण दाता के तौर पर शामिल हैं । 
जी हां आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने खनिज विभाग के एक अफसर को निलंबित कर दिया है और अब उन्हें बर्खास्त करने की तैयारी की जा रही है। अफ़सर प्रदीप खन्ना इंदौर में पदस्थ रहे और विभाग की आपसी लड़ाई में लोकायुक्त छापे की जद में आ गए । प्रदीप खन्ना की अकूत संपदा देख सरकार की आंखें चौंधिया गई । सो निलंबित कर दिए गए और अब मुख्यमंत्री सचिवालय तीखी नाराजगी जताते हुए उन्हें बर्खास्त करने की तैयारी कर रहा है ।
अब आप कहेंगे कि सरकार ने सही ही तो किया...... तो नहीं साहब उक्त अफ़सर अपने सेवाकाल के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र में भी पदस्थ रहा और इन इलाकों में किए जाने वाले अवैध खनन को देखकर आंखें मूंदें रहा । क्योंकि अवैध उत्खनन कर्ता सूबे के मुख्यमंत्री के दाएं बाएं हुआ करते हैं । यह अवैध उत्खनन आज भी बदस्तूर जारी है और इस अवैध उत्खनन के संरक्षणदाता आज भी सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दाएं बाएं वाले ही हैं । और आज भी वहां पदस्थ खनिज अधिकारी अपनी आंखें बंद किए हुए हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब मध्यप्रदेश में डंपर कांड़ में मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी का नाम घसीटा गया । बस वल्लभ भवन के आला आय ए एस अफसर और खनिज मंत्रियों की मन की मुराद पूरी हो गई । जमकर अवैध उत्खनन कर्त्ताओं से आर्थिक वसूली की गई और संरक्षण दिया गया । लंबे समय तक खनिज विभाग की जबाबदारी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सचिवालय के पास ही रही । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी इन आरोपों से तो बच गए लेकिन पूरे प्रदेश को ड़ंपरनुमां कर गए । ताज्जुब की बात है कि आज मध्यप्रदेश में डंपरों की अच्छी खासी तादाद है और सर्वाधिक ड़ंपर आज की तारीख में विदिशा -रायसेन -होशंगाबाद-सीहोर में दौड़ते देखे जा सकते हैं । पिछली भाजपा सरकार के दौरान तो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही तवा और नर्मदा नदी में अवैध रेत उत्खनन के मामले में सरकार को घेरा लेकिन उन्हें डरा धमकाकर पुचकारकर और पदों का लॉलीपॉप थमाकर चुप करा दिया गया । क्योंकि आंच के छींटें हर बार की तरह एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिजनों को दागदार कर रहे थे ।
अगर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी की राय को तवज्जो दिया जाए तो अकूत धन, खनिज संपदा के सूबे मध्यप्रदेश में ईमानदारी से खनिज रायल्टी वसूल ली जाए तो मध्यप्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने के मामले में खनिज विभाग आबकारी और परिवहन विभाग को पछाड़ सकता है । 
ऐसा होगा नहीं ना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना खुद का निलंबन या बर्खास्तगी आदेश जारी कर पाएंगे और ना ही ईमानदारी से खनिज विभाग से रायल्टी वसूले जाने का आदेश जारी करवा पाएंगे ।

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