शिवराज जी ऐसे राजनैतिक बदला ?

 

तो क्या फर्क शिवसेना के उद्धव ठाकरे और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री में ?
खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही शिवराज सिंह चौहान का पहला बयान था कि चौथी पारी में उनका अंदाज पहले के मुकाबले अलग रहेगा । बात सच भी है कि इस बार पुरे बदले अंदाज में शिवराज बदले की राजनीति करते नजर आ रहे हैं । 
पहली पारी में जहां शिवराज के राजनैतिक विरोधी अपनी ही गलती से परास्त हो गये । फिर वो चाहे शिवराज की पार्टी के अंदर के ही विरोधी रहे हों या फिर विपक्ष के राजनेता । शिवराज ने खुद आगे बढ़कर दुश्मनी मोल लेने के जतन नहीं किए । हां विरोधियों के वार को झेलते हुए उन्हें अपने राजनैतिक कौशल से जरुर परास्त किया । इस बार तो शिवराज खुलकर अपने राजनैतिक विरोधियों पर हमले कर रहे हैं चाहे वे उनके संकटमोचक रहे नरोत्तम मिश्रा हों या फिर कांग्रेस के अन्य नेता ।
पहला मंत्रीमंडल गठन करने के दौरान भी शिवराज ने गोपाल भार्गव जैसे वरिष्ठ नेता को मंत्रिमंडल में शामिल ना कर अपनी इच्छा का अहसास करा दिया । दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया की जिद की आड़ लेकर भाजपा के कई वरिष्ठ और योग्य विधायकों को दरकिनार कर दिया ।
सूत्रों के अनुसार इस बार तो मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा खुलकर काम नहीं कर पा रहे हैं । चाहे जब उनके पास स्वास्थय मंत्रालय रहा हो या अब गृह मंत्रालय । महत्वपूर्ण निर्णय पर शिवराज के अफसर अड़ंगेबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं । 
अमूमन मध्यप्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री और विपक्ष के बीच सोहार्दपूर्ण संबंधों का प्रर्दशन होता आया है । इसके बावजूद भी तीखा राजनैतिक विरोध बना रहता था । इस बार शिवराज कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों से सरकारी आवास खाली करवा रहे हैं । मध्यप्रदेश की राजधानी में तीन सरकारी आवास पर कब्जा जमाए शिवराज ने राजधानी के ही क्षेत्रीय विधायक पी सी शर्मा  का मंत्री की हैसियत से मिला आवास खाली करवा लिया । सूत्रों के अनुसार पी सी सी शर्मा ने शिवराज से व्यक्तिगत आग्रह भी किया था कि उन्हें इस क्षेत्र का विधायक होने के कारण आवंटन रद्द ना किया जाए । शिवराज नहीं पसीजे ।
शिवराज का एक नया अंदाज और सामने आया है । इन दिनों मध्यप्रदेश में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं और विपक्ष के नेताओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं । 
सबसे बड़ा मामला मध्यप्रदेश की राजनीति में बेहद ईमानदार माने जाने वाले होशंगाबाद से पूर्व सांसद और मंत्री सरताज सिंह का है । सरताज सिंह की भोपाल में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के समीप पुखराज होटल है । पुखराज होटल का बार लायसेंस निरस्त कर दिया गया है । वजह पुखराज होटल से सोम ग्रुप के बार पर तस्करी कर ले जाई जा रही शराब जब्त की है । मैं कार्रवाई को गलत नहीं ठहरा रहा हूं पर एक सवाल है कि पुखराज होटल बरसों से संचालित की जा रही है । यह कार्य पहली बार तो नहीं हो रहा होगा । आखिर पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ? भाजपा में रहते सरताज सिंह के कारण विवाद पनपने की वजह थी या फिर कुछ और ।
हाल ही में मोहर्रम के मौके पर इंदौर के पूर्व पार्षद रहे हाजी उस्मान पटेल के खिलाफ रासूका की कार्रवाई की गई है । उस्मान पटेल वह व्यक्ति हैं जिन्होंने कट्टर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाजपा का परचम स्थापित किया था । कुछ मामलों से क्षुब्ध होकर उस्मान कांग्रेस के हो गए । फिर वही सवाल कि क्या भाजपा में रहते हुए उस्मान पटेल के कार्य भाजपा शासनकाल में प्रशासन को नज़र नहीं आए । आज जब वे कांग्रेस में शामिल हो गए तो अपराधी बन गये ।
तीसरा मामला दतिया के कांग्रेस से पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के परिजनों के खिलाफ दर्ज प्रकरण में इनाम घोषित करने को लेकर है । राजेंद्र भारती और नरोत्तम मिश्रा की तनातनी बरसों पुरानी है । विगत दस दिनों से दतिया की कानून व्यवस्था और न्यायालय से वारंटी थाना प्रभारी को हटाए जाने को लेकर दतिया कांग्रेस आंदोलनरत थी । भारती के परिजनों के खिलाफ प्रकरण पुराना है फिर इनाम अब कर्मों ? कहीं इन तीनों कार्रवाई की आड़ में कांग्रेस और अपने विरोधियों को डराने का प्रयास तो नहीं ? 
हाल ही में शिवसेना और कांग्रेस की संयुक्त सरकार ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत के बंगले में बने अवैध निर्माण को ढ़हाया है । जिसको लेकर इन दिनों पूरे देश में महाराष्ट्र सरकार के कदम की तीखी आलोचना की जा रही है । इस आलोचना में भाजपा के नेता महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ जमकर बोल रहे हैं । 
मुद्दा चाहे सही हो या ग़लत एक जैसी कार्रवाई को अलग अलग सही या ग़लत कैसे ठहराया जा सकता है । अगर उद्धव ठाकरे ग़लत हैं तो शिवराज सही कैसे ?

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