शिवराज : मित्रता नाटक या कर्तव्य परायणता ?

 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के क्रियाकलापों का विश्लेषण

खबर नेशन / Khabar Nation

वैश्विक सिनेमा में कई कलाकार पात्र को जीवंतता में उतारकर अमरता प्रदान कर देते हैं । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ऐसे ही राजनेता हैं। एक साथ दिल और दिमाग का उपयोग करने में माहिर हैं। सबसे बड़ी बात ना इसे कोई पहचान पाता है और ना इसे वे छुपाते हैं । कोई बात अगर उनके दिल में आ गई तो उसे पूरा करने में अपने दिमाग को झोंक देते हैं । इसी के साथ ही दिमाग में कौंधने वाले विचार को दिल से पूरा करते हैं । चाहे दोस्ती हो या दुश्मनी.....।


अब हालिया निर्णय ले लें । मध्यप्रदेश सरकार ने मंत्री, सांसद विधायकों के दौरों, रैली प्रर्दशन पर 14 अगस्त तक रोक लगा दी है। बिना मास्क नेता या अफसर के मिलने पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह निर्णय तब आया है जब मुख्यमंत्री शिवराज सहित उनके मंत्रिमंडल के साथी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वी डी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत सहित कई प्रमुख पदाधिकारी कोरोना संक्रमित हो गये हैं। मुख्यमंत्री शिवराज इन दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज में उपचाररत हैं और वे वहीं से सरकार चला रहे हैं । शिवराज वर्चुअल कैबिनेट बैठक कर रहे हैं। सरकारी आदेशों को मंजूरी दे रहे हैं। राजनैतिक मुलाकात कर रहे हैं।


बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं पर एक प्रमुख सवाल है आखिर यह क्यों,किसके लिए और कैसे ? इनमें राजनैतिक दलों के आरोप प्रत्यारोप हैं, जनता के मन की शंकाएं है ।


मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति के लिए कड़े सुरक्षा निर्देश हैं। कोई भी सामान्य व्यक्ति उन तक पहुंच नहीं सकता। फिर कैसे कोरोना संक्रमित उन तक पहुंच गया और शिवराज को संक्रमित कर गया ?


लापरवाह कौन शिवराज या उनकी सुरक्षा में तैनात अमला ?


क्या अस्पताल के प्रोटोकॉल के हिसाब से शिवराज का राजनीतिक एवं प्रशासनिक कामकाज उचित है ?


शिवराज आखिर निजी अस्पताल में ही इलाज क्यों करा रहे हैं ? सरकारी अस्पताल में इलाज क्यों नहीं कराया?वजह क्या?


जब संवैधानिक पदों पर बैठे राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री को अवकाश की पात्रता है। तो उन्होंने अपने अधिकार का उपयोग क्यों नहीं किया ?

क्या शासन प्रशासन ने कोविड 19 (कोरोना संक्रमण) प्रोटोकॉल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया है ?
इन संपूर्ण सवालों के जवाब इस प्रकार हैं।
मध्यप्रदेश के मंत्रालय और मुख्यमंत्री निवास में इन दिनों सामान्य व्यक्ति आसानी के साथ नहीं जा सकता है । पत्रकारों के प्रवेश पर तो पूर्ण प्रतिबंध है । अतिविशिष्ट व्यक्ति भी जब इन परिसरों में प्रवेश करता है तो उसका तापमान लिया जा रहा है । हाथ सेनेटाइज करवाए जा रहे हैं। चेहरे पर मास्क की अनिवार्यता है। यूं भी सामान्य व्यक्ति तो मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं सकता है।तो क्या सी एम के सुरक्षा में तैनात अमले ने कोई चूक की है ?

लापरवाह कौन शिवराज या उनकी सुरक्षा में तैनात अमला ?
कोरोना संक्रमण के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज स्वयं एहतियात बरतते हुए सुरक्षा के उपाय अपना रहे थे । जैसे जैसे शिवराज राजनीतिक कार्यो में व्यस्त होते गए वैसे वैसे उनके संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ गया । शिवराज संक्रमित होने के पूर्व लगातार मध्यप्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले संभावित उपचुनावों को लेकर राजनैतिक बैठके और सभाएं कर रहे थे । जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा , संगठन मंत्री सुहास भगत संभागीय संगठन मंत्री आषुतोष तिवारी और अन्य कोरोना संक्रमित हुए हैं वह शिवराज के ही लापरवाह होने की और इशारा कर रहा है । गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व खबर नेशन द्वारा मध्यप्रदेश के भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के कक्ष के बाहर उपयोग किए जा रहे घटिया थर्मल स्कैनर का समाचार प्रकाशित किया गया था । खबर नेशन ने यह आशंका भी व्यक्त की थी कि अतिविशिष्ट व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण का ख़तरा है । वह बाद में सच साबित हो गई।
अस्पताल का प्रोटोकॉल ?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इन दिनों चिरायु मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमण के चलते आइसोलेशन में हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। सारे राजनीतिक और प्रशासनिक कामकाज अस्पताल से खुले आम चल रहे हैं । कोरोना संक्रमण को लेकर जारी प्रोटोकॉल का भी भरपूर उल्लंघन किया जा रहा है । शिवराज ने वहीं बैठे बैठे वर्चुअल कैबिनेट बैठक कर डाली । सरकारी आदेशों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। जबकि ऐसे स्थान पर सामान्य स्वस्थ व्यक्ति को जाने से बचना चाहिए।क्योंकि उसके संक्रमित होने का ख़तरा है। शिवराज की इस व्यवस्था में जुटे अमले को संक्रमित होने का खतरा है और वह बाहर जाकर संक्रमण फैला सकता है ।
चिरायु ही क्यों ?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोरोना संक्रमण का इलाज कराने पर विरोधी राजनीतिक दल सहित आमजन को भी आपत्ति है और वे भी सवाल उठा रहे हैं कि प्रदेश का मुख्यमंत्री सरकारी अस्पताल में इलाज क्यों नहीं करवा रहे हैं ? क्या सरकारी अस्पतालों में प्रर्याप्त संसाधन और योग्य अमला नहीं है ? एक कारण और है चिरायु मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ अरुण गोयनका राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में काफी दखल रखते हैं । मेडिकल कॉलेज विगत दस वर्षों पूर्व ही शुरू हुआ है और डाक्टर गोयनका की शिवराज सहित उनके परिवार से निजी मित्रता भी है । मेडिकल कॉलेज की सीटें भरने को लेकर व्यापम कांड़ में नाम भी आया है। कहीं शिवराज अप्रत्यक्ष रूप से अपने मित्र की छवि निर्मित करने का लाभ तो नहीं पहुंचा रहे हैं?
शिवराज के अधिकारों का उपयोग ?

संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों को सरकारी अधिकारी और कर्मचारी की तरह अवकाश पर जाने की पात्रता है। वर्तमान हालात में तो शिवराज सिंह चौहान को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए । क्योंकि शिवराज को उम्र आधारित कई गंभीर बीमारियां ने जकड़ रखा है । सवाल है कि आखिर उन्होंने अवकाश क्यों नहीं लिया ? क्या उन्हें डर है ? कि सत्ता का प्रभार सौंपते ही उनके खिलाफ कोई षड़यंत्र हो जाएगा । अगर उन्हें डर है तो वे राजनीतिक विरोधी कौन ? क्या पूरे मंत्रिमंडल में उनका एक भी विश्वसनीय मंत्री नहीं है ? 
कांटेक्ट ट्रैसिंग का पालन ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर कोरोना संक्रमण और उसके बाद उपजी परिस्थितियों को लेकर गंभीर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।कोरोना संक्रमित व्यक्ति की विगत चौदह दिन की कांटेक्ट ट्रैसिंग लिस्ट तैयार की जाना चाहिए। जिससे कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें । आखिर शासन प्रशासन ने इस दिशा में कोई काम किया या नहीं ? अगर किया तो क्या उस व्यक्ति को ढूंढ़ा जिसके कारण अतिविशिष्ट व्यक्ति तक संक्रमण पहुंच गया । जब भारत सरकार के दिशा निर्देश हैं कि ऐसे व्यक्ति जो समय पर अपने कोरोना संक्रमण का इलाज नहीं करा रहे हैं या दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं तो क्या ना ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाए ।
यह तय आपको करना है यह पूरा घटनाक्रम मित्रता, नाटक या कर्त्तव्यपरायणता है । हम वस्तुस्थिति आपके सामने रख रहे हैं ।

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