प्रधानमंत्री का बयान गंभीर, कार्रवाई क्यों नहीं ?


खबर नेशन /Khabar Nation
एक राजा के मुख से निकले शब्द ब्रम्ह वाक्य होते हैं । जिनका अर्थ भी गंभीर होता है और कार्रवाई योग्य भी होता है। बात भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डॉक्टरों और फार्मा कंपनियों के बीच पनपते अनैतिक आचरण को उजागर करने संबंधी है और जो अरबों लोगों के विश्वास की नींव पर खड़े भरोसे की है।
जब देश में ड्रग ट्रायल जैसे गंभीर आरोप सामने आ रहे हों। जिनमें विदेश यात्रा प्रायोजित किए जाने,मंहगी गिफ्ट रिश्र्वत में दिए जाने के आरोप लग रहे हों । ऐसे दौर में डॉक्टरों को महिलाएं प्रस्तुत कर फार्मा कंपनियों द्वारा अपने प्रोडक्ट की दवाईयों का लिखवाना गंभीर ही नहीं चिंतनीय भी है ।
यह आरोप किसी एक व्यक्ति पर नहीं है । एक पूरी की पूरी सोसायटी इसके दायरे में है । जिसमें डॉक्टरों से लेकर फार्मा कंपनियों में काम करने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, विक्रय अधिकारी,प्लानर और महिलाएं भी है । ये सारे के सारे गलत नहीं है और और इनमें से चंद लोग ही गलत हो सकते हैं । इन पर कार्रवाई क्यों नहीं होना चाहिए? और कार्रवाई होती है तो स्वागत योग्य होगी ।
सवाल यह भी है कि आखिर यह सब कबसे चल रहा है ? इस बात की जानकारी देश और प्रदेश के रहनुमाओं की थी या नहीं ? अगर थी तो अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और अगर नहीं थी तो इसके लिए जिम्मेदार कौन ? क्या यह उन रहनुमाओं की अक्षमता नहीं मानी जाएं ?

Share:


Related Articles


Leave a Comment