अगर वर्तमान दौर की भाजपा में "पटवा-सकलेचा-जोशी " सरीखे नेता होते तो कबके निपट गए होते शिवराज

 

टीम वीडी को 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार ?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम बनेंगे भाजपा के अंर्तकलह का सबब

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन/Khabar Nation

 

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की टीम बेसब्री से 10 मार्च का इंतजार कर रही है । गौरतलब है कि 10 मार्च को पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम आएंगे। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार आने वाले समय संगठन में काफी उथल पुथल भरा रहने वाला है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर कई प्रदेशों में सत्ता संगठन में बदलाव को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। 

भाजपा की आंतरिक राजनीति को लेकर संवेदनशील और उद्वेलित रहने वाले नेताओं का मानना है कि इस तरह की उथल पुथल से मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं रह सकता है। टीम वीडी के अनेक सदस्य तो आने वाले समय में सत्ता परिवर्तन का पुख्ता दावा भी कर रहे हैं ।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान विगत सोलह साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजे हैं । मुख्यमंत्री पद की पहली बार शपथ लेते ही शिवराज लगातार अपनी ही पार्टी के राजनीतिक विरोधियों से लोहा ले रहे हैं। शिवराज को अलग अलग अवसरों पर लोहा लेने के लिए मजबूर करने वालों में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती , भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय , केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मध्यप्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा , केन्द्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल , पूर्व मंत्री स्वर्गीय लक्ष्मीकांत शर्मा , केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते , पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल , पूर्व मंत्री जयंत मलैया , केन्द्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया , वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा , मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सरीखे नेता शामिल हैं। शिवराज से नाराज़ इनमें कई नेता जो मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखें हुए हैं संगठन की आड़ लेकर वीडी के साथ लामबंद हो रहे हैं।

शिवराज ने इनमें से कई राजनेताओं को मुख्य धारा से बाहर का रास्ता दिखवा दिया। हालिया तौर पर शिवराज कुशल राजनेता के तौर पर नजर आते हों पर ऐसा है नहीं। 

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जिस तरह की राजनीति भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री रहे सुंदरलाल पटवा , कैलाश जोशी और वीरेंद्र कुमार सकलेचा के दौर में होती थी अगर उसका रत्तीभर भी शिवराज के दौर में होती तो शिवराज सिंह चौहान कबके मुख्यमंत्री पद से हटाए जा चुके होते। उनका कहना है कि गंभीर किस्म के आरोपों के बावजूद शिवराज अगर मुख्यमंत्री बने हुए हैं तो इसकी वजह पार्टी में कोढ़ की तरह फ़ैल गई चंदाखोरी है।  जब जब शिवराज के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं तब तब शिवराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के प्रमुख नेताओं को स्वर्णिम मुद्राओं की थैली भेंटकर पद पर बने रहने में सफल रहें हैं । 

इन वरिष्ठ नेता का कहना है कि पहले संगठन को सुचारु रुप से चलाने सारे कार्यकर्ता स्वयं और मध्यप्रदेश के व्यापारियों उद्योगपतियों से बतौर सहयोग राशि मदद स्वरूप लेते थे। वर्तमान दौर में मध्यप्रदेश के सरकारी अफसर संगठन के लिए पैसा एकत्रित कर रहे हैं। जिसके चलते अब कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेताओं के बीच संवाद की परिपाटी समाप्त होती जा रही है । 

यह बीमारी जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पैठ गई है। जिसके चलते शिवराज को लंबे समय तक पद पर बने रहने में कठिनाई नहीं हुई।

 

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