योगी की राह पर शिवराज ..... आखिर क्यों ?


फुर्सत में मध्य प्रदेश की जनता या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ?
आठ करोड़ जनता के मंत्री, सांसद ,विधायक अन्य जनप्रतिनिधि और शासकीय अधिकारियों ,कर्मचारियों के महत्वपूर्ण समय को बर्बाद करने की पिनक कन्या पूजन 
खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश के सहज सरल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने बदले अंदाज में नजर आ रहे हैं । माफियाओं को जमीन में गाड़ने की धमकी तो पिछले कार्यकाल के मुकाबले सर्वधर्म समभाव के उलट हिंदूवादी चेहरा बनने का प्रयास । आखिर क्यों ? कहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शे कदम पर तो नहीं ?


मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता से जाते ही और मुख्यमंत्री बनते ही शिवराज सिंह चौहान का पहला बयान था कि इस बार उनके अंदाज जुदा होंगे। और अब नए अंदाज नजर भी आ रहे हैं । इन अंदाजो की वजह भी है । शिवराज इन दिनों अगर सबसे ज्यादा किसी से डरे हुए हैं तो वह हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यसभा के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया । मोदी से डरने की वजह एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर एक दूसरे का खामोशी से आंकना है । जिसके चलते मोदी कभी भी शिवराज को पटकनी दे सकते हैं । सिंधिया से डरने की वजह सिंधिया का व्यवहार है। सिंधिया भले ही भाजपा में शामिल हो गए हैं लेकिन उन्हें जो उचित सम्मान मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिला है । सो सिंधिया कभी भी शिवराज के लिए खतरा बन सकते हैं । मजबूरन शिवराज को नई छवि गढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । माफियाओं को और अफसरों को शिवराज पहले भी धमकी देते रहे हैं पर इस बार शिवराज की भाषा उनके चरित्र के अनुरूप नहीं मानी जा रही है ।

अब बात शिवराज के हिंदूवादी चेहरे के तौर पर निखारने की

मध्य प्रदेश सरकार ने नए फरमान पर अमल करने की शुरुआत कर दी है । अब हर शासकीय कार्यक्रम के शुभारंभ पर पहले कन्या पूजन किया जाएगा । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद जिले के बाबई में किसान सम्मेलन को संबोधित करने के पूर्व 5 कन्याओं के पैर पूज कर कन्या पूजन अभियान की शुरुआत  पूरे मध्यप्रदेश में की। इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया था ।  इसी के साथ ही इस अभियान का कड़ाई से पालन किए जाने का भी निर्देश दिया गया है । इस कार्यक्रम को  कन्याओं और महिलाओं को सम्मान दिए जाने के तौर पर देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महिलाओं और कन्याओं के प्रति संवेदनशीलता के चलते उन्हें मामा का संबोधन दिया जाता है ।
कांग्रेस मध्यप्रदेश को महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामले में बहुत पीछे बता रही हैं। जिसमें सुधार की आवश्यकता है । सरकार पर इस और ध्यान ना देकर न देकर इस तरह की नौटंकी करने का आरोप भी लगा रही है। अब कन्या पूजन कार्यक्रम भले ही प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी के तुष्टिकरण और अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा करने वाला  कार्यक्रम ना हो लेकिन यह मध्य प्रदेश की 8 करोड़ जनता के अधिकार की अवहेलना है। जिस अधिकार की खातिर उसने मध्य प्रदेश की सत्ता भाजपा को या शिवराज को सौंपी है । इस मामले में ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह निर्णय उस समय आया है जब देश में राजनैतिक दल कटुता और भेदभाव का माहौल रच रहे हैं। ऐसे में इसे पॉलिटिकल इश्यूज के तौर पर कई राजनीतिक विश्लेषक देख रहे हैं। मध्यप्रदेश में जल्द ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं । ऐसे में शिवराज की इस घोषणा का क्रियांवयन मध्यप्रदेश के बहुसंख्यक खासकर हिंदुओं को प्रभावित करने में तुरुप के इक्के के तौर पर साबित हो सकता है । गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर पंजाब हरियाणा और राजस्थान के किसान कृषि कानून के विरोध में तीस दिन से आंदोलनरत हैं। आंदोलनरत किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। हांलांकि मध्यप्रदेश के किसान इस आंदोलन को लेकर अपनी रुचि प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। इसके बावजूद इसका असर मध्यप्रदेश के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में पड़ सकता है। जिसकी काट के तौर पर क्या कि पर कन्यापूजन अभियान को देखा जा रहा है। 
भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत 
संविधान राज्य को धर्म , जाति ,लिंग ,जन्म स्थान के आधार पर किसी नागरिक के साथ भेदभाव करने से रोकता है । 
 यहां एक बात और गौरतलब है कि वर्ष 1996 में जब मध्यप्रदेश के नवीन विधानसभा भवन इंद्रा भवन का शुभारंभ हुआ था  तब भाजपा ने शुभारंभ अवसर पर इसी बात को लेकर विरोध प्रकट किया था । उस वक्त मध्य प्रदेश विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष श्री निवास तिवारी ने विधानसभा प्रवेश का पूजन हवन के साथ कराया था । जिसका खुला विरोध भाजपा ने किया था।  सवाल उठता है तो फिर अब कन्या पूजन क्यों ? 

समय और  शासकीय खर्चो को खराब करने वाला अभियान

इसी के साथ ही एक अन्य बिंदु की ओर मध्य प्रदेश के एक प्रभावशाली अधिकारी ने इस संवाददाता से चर्चा करते हुए कहा कि क्या यह समय खराब करने वाला अभियान नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में प्रतिदिन विभिन्न स्तरों पर पंचायत से लेकर मुख्यमंत्री सांसद, मंत्री ,विधायक तक लगभग 400 छोटे बड़े शासकीय कार्यक्रम होते हैं । कन्या पूजन में लगभग आधा घंटे का समय हर कार्यक्रम में लगेगा।  ऐसे में वार्ड के कार्यकर्ताओं से लेकर मुख्यमंत्री तक और चपरासी से लेकर पटवारी, तहसीलदार, कलेक्टर,एस पी,आई जी, संभागायुक्त, पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव तक इस कार्यक्रम को संपन्न कराने का काम करेंगे । अगर आकलन किया जाए और कम से कम सौ लोगों की संख्या मानी जाए (जिसमें जनता भी शामिल हैं) तो प्रतिदिन बीस हजार घंटे अनावश्यक खर्च होंगे । जो लगभग पच्चीस सौ कार्य दिवस के बराबर होते हैं। हांलांकि इसे न्यूनतम आधार पर आंका गया है लेकिन स्तर के अनुरूप इनकी संख्या बढ़ ही सकती है । इस कार्यक्रम में शामिल हुए महत्वपूर्ण लोगों के समय की कीमत सर्वाधिक होती है ।‌ शासकीय अमले के इस कार्यक्रम में शामिल रहने से शासकीय कामकाज का नुक़सान अलग है । इसी के साथ ही उक्त अधिकारी ने इस कार्यक्रम के दौरान होने वाले शासकीय खर्चो को लेकर भी अपनी आपत्ति जताई । भले ही शासकीय तौर पर बहुत कम राशि खर्च हो लेकिन सभी कार्यक्रमों को मिलाकर यह राशि प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के करीब बैठेगी। जो पूर्ण रूप से अनावश्यक व्यय ही मानी जाएगी । उन्होंने सवाल किया कि क्या मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता ने इसी अनावश्यक कार्य और खर्च के लिए इन्हें चुना था।

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