माफिया , कमलनाथ और मुख्तार सिंह...!


खबर नेशन / Khabar Nation

उन्नीस सौ अस्सी के दशक में भारत के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की एक फिल्म आई थी कालिया । जिसकी शुरुआती पटकथा ने ही पूरी फिल्म की सफलता की कहानी लिख दी थी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ इन दिनों मध्यप्रदेश में विश्व का लब्ध प्रतिष्ठित समारोह आईफा की तैयारी में व्यस्त हैं सो यहां भी बात फिल्म से शुरू कर रहा हूं । 
मध्यप्रदेश के आर्थिक हालात गड़बड़ाए हुए हैं । प्रदेश के ही क्या देश के आर्थिक हालात ही गड़बड़ाए हुए हैं । वजह राजनैतिक भी है प्रशासनिक भी है और आर्थिक भी । साल भर हो गया है मध्यप्रदेश में नयी नयी सत्ता को स्थापित हुए । आधुनिकता के इस दौर में आम जनता इंस्टेंट विकास चाहती है और विकास सत्तर सालों से विकास की राह देख रहा है । 
पिछले पन्द्रह सालों में खासकर शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री कार्यकाल में जिस तेजी से मध्यप्रदेश ने विकास किया था वह मध्यप्रदेश में सरकार बदलने के दूसरे दिन से ही रुक गया । वजह समझ में नहीं आई कि ये गलत है या वो गलत थे। मध्यप्रदेश सरकार कर्ज के बोझ से,खाली खजाना चारों खाने चित्त जैसे हालात । 
नई सरकार के कारिंदो ने तबादलों के नाम पर लूट खसोट मचा दी । सरकार बदनाम हुई या गिराने के चक्कर में बदनाम की गई , यह भी समझ नहीं आया । अचानक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को इल्म हुआ कि प्रदेश के विकास ना हो पाने की वजह माफिया राज का होना है । लगभग सात साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी विधानसभा में कह चुके थे कि उन्हें माफियाओं से खतरा है पर मजबूत शिवराज को खत्म करने में माफियाओं को भी छह साल लग गए । सो कमलनाथ ने माफियाओं से तत्काल हिसाब किताब निपटाने का फरमान सुना डाला । पू
प्रदेश में हुई कार्रवाई और मध्यप्रदेश कांग्रेस के आंकड़ों के अनुसार लगभग दस हजार से ऊपर माफियाओं को निपटाया गया है । 
अगर सरकारी आंकड़ों और मध्यप्रदेश कांग्रेस के दावों पर यकीं किया जाएं तो कहा जा सकता है कि देश की हृदयस्थली के रूप में जाना जाने वाला मध्यप्रदेश अमिताभ बच्चन की ही दूसरी फिल्म अग्निपथ का मांडवा गांव बन चुका है । या तो सरकारी तंत्र और कांग्रेस को माफिया की परिभाषा नहीं पता है या फिर इस कार्रवाई की आड़ में मध्यप्रदेश के भोले भाले नागरिकों को परेशान करने का षड़यंत्र रचा गया है । इस षड़यंत्र का जनक कौन है यह तो कोई भी नहीं जान पा रहा लेकिन माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई की आड़ में आम नागरिकों को परेशान करने के अपराध के छीटें  कमलनाथ के दामन पर मुख्यमंत्री होने के नाते जरुर लगेंगे । 
माफियाओं पर कार्रवाई रोक दी गई है लेकिन सरकारी तंत्र कार्रवाई दिखाने का डर दिखाकर लूट-खसोट में लग गया है । सरकारी तंत्र रिश्र्वत खोरी में जबरदस्त तरीके से लिप्त है । प्रदेश का आम नागरिक जब अपनी व्यथा सुनाता है तो अनायास कालिया फिल्म का मुख्तार सिंह याद आ जाता है । जिसका वर्णन कालिया फिल्म का नायक करता है कि हां तो बच्चों मुख्तार सिंह का नाम सुना है तुमने। 
नहीं सुना तो फिर क्या सुना तुमने दुनिया में। 
मुख्तार सिंह वो आदमी है जिससे शहर की पुलिस भी कांपती है और पब्लिक भी । 
बाजार से निकल जाएं तो ऐसा लगता है कि शहर में कर्फ्यू लग गया है । 
बाजार खाली हो जातें हैं , दुकानें बंद हो जाती हैं।
फिर
और फिर क्या उसकी मौत आई थी जो हमसे आ के उलझ गया ।
वो कैसे....
वो ऐसे कि सरकार की तरह वो सारी दुनिया से टैक्स लेता फिरता है ।
दुकानदारों से टैक्स , ठेले वालों से टैक्स , बाटलीवालों से टैक्स ..... आज हमसे टैक्स मांगने चला आया
पूछा किस बात का टैक्स
किस बात का..... सड़क पर चलने का टैक्स
हमनें कहा अरे भैय्या और लोग भी सड़क पर चलते हैं । उनसे टैक्स क्यूं नहीं लेते सिर्फ हमसे टैक्स क्यों लेते हो....
कहने लगा तुम्हारी टांगें लंबी है । सड़क ज्यादा घिसती है । बस इसी लिए ।
पूरी फिल्म में इस संवाद को तीन चार बार इस्तेमाल किया गया , लेकिन फिल्म के निर्माता,निर्देशक ने बड़ी चतुराई के साथ मुख्तार सिंह का चेहरा नहीं दिखाया । पूरे प्रदेश में भी यही हालात हैं । हर आदमी मुख्तार सिंह का किस्सा तो सुना रहा है लेकिन चेहरा दिखाने से गुरेज कर रहा है ।
 अब यह  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की जबाबदारी है कि मध्यप्रदेश की जनता को मुख्तार सिंह से बचाए वरना मध्यप्रदेश की जनता कमलनाथ को ही मुख्तार सिंह समझ लेगी ।

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