कमलनाथ ये लक्षण ठीक नहीं ....!


अगर नहीं सुधरे तो किसी भी दिन पानी फिर जाएगा

साधौ का इलाज , मंत्री समर्थकों की बदगुमानी और पीसीसी का अख्खड़पन

खबर नेशन /Khabar Nation

मध्यप्रदेश में कांग्रेसी सरकार के 30 दिन और दिखते हुए लक्षण मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए चुनौती भरे साबित हो सकते हैं । अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो कमलनाथ के मंसूबों पर पानी फिरते हुए भी देर नहीं लगेगी । भारतीय जनता पार्टी तो शिद्दत के साथ तके हुए बैठी है कि येन केन प्रकारेण सत्ता में आ जाए  लेकिन इसी के साथ ही आम जनता भी सरकार के क्रियाकलापों पर तीखी नजर रखे हुए हैं । इधर बरसों से पीड़ित प्रताड़ित रहा कार्यकर्ता उम्मीद में है कि सरकार उसकी प्रताड़ना को कम कर सुख के दिन वापस लौटाएगी ।  हालात उलट नजर आने लगे हैं ।
सबसे पहले बात भारतीय जनता पार्टी के नजर की मुख्य विपक्षी दल की भूमिका और सत्ता से चंद कदमों की दूरी ना भाजपा को जीने दे रही है ना सोने दे रही । और इधर कांग्रेस को समर्थन दे रहे विधायक सत्ता से दूर रह गये  कांग्रेसी विधायक अपनी नाराजगी को जाहिर करने से एतराज भी नहीं कर रहे हैं । ऐसे में किसी भी दिन भाजपा मौके का फायदा उठाकर सत्ता में भले वापस ना आए लेकिन कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता से दूर कर सकती है । कमल नाथ की सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस और समर्थन देने वाले विधायकों को एक जाजम पर बिठाए रखना है ।
अब बात जनता की जनता अपने ही निर्णय पर  भौंचक्की है कि उसने किस तरह की लोकतंत्र के साथ अच्छाई निभाई या बुराई । भाजपा को मिला मैंडेट और कांग्रेस को मिली जीत ज्यादा अंतर नहीं है । लेकिन वक्त है बदलाव का नारे पर चुनी सरकार के मंत्री के क्रियाकलाप आम जनता को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं । सबसे पहले बात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ की । इंदौर के एक कार्यक्रम में उनके कंधे में फ्रैक्चर हुआ । पहले निजी अस्पताल फिर दिल्ली के एम्स में इलाज। जनता को बात हजम नहीं हुई । इंदौर का महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सालय में गिना जाता है ।इसके बाद भी विभागीय मंत्री की दूरी आम जनता के मन में इस अस्पताल की छवि को संदेह की स्थिति में ले गया ।
बात मंत्री समर्थकों की बदगुमानी की । हाल ही में एक प्रमुख मंत्री के खास समर्थक ने उनके मंत्री के पीए को जबरदस्त डांट फटकार के साथ गाली गलौज कर डाली । वजह सिर्फ इतनी थी । मंत्री के खास समर्थक ने फोन लगाया और पीए वह तवज्जो नहीं दे पाया । जो उसे देना थी । यह बता दें कि उक्त निज सहायक पूर्व में जिस मंत्री के पास थे। वहीं विभाग इन मंत्री को मिला है । बात कांग्रेस के पीड़ित प्रताड़ित कार्यकर्ता की । जो पिछले 15 सालों से अपने बाजिब और गैर बाजिब सरकारी कामों के लिए दर-दर भटकता रहा और जो अब सत्ता आने के बाद संगठन के आश्रय होना चाहता है । उसे संगठन के लोग ही अपने अख्खड़पन के आगे कुछ नहीं समझ रहे हैं । यही गलती भारतीय जनता पार्टी में हुई थी । भाजपा के देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं ने चौथी बार भाजपा के आला नेताओं को सबक सिखा दिया । अगर यही हालात प्रदेश कांग्रेस में रहे तो वह दिन दूर नहीं जब किसी भी दिन पार्टी कार्यालय के चुनिंदा पदाधिकारी कार्यकर्ताओं से पिटते नजर आएं । भाजपा का कार्यकर्ता तो अनुशासन की परिधि में बंधा रहता था लेकिन कांग्रेस का कार्यकर्ता तत्काल सबक सिखाने के तौर पर जाना जाता है । कांग्रेस के एक पुराने कार्यकर्ता के अनुसार कि चुनाव के पूर्व अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो बात सत्ता में आने वाले मंत्रियों के लिए अपने कार्यकर्ताओं से कही थी। उसी फार्मूले को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भी लागू करने की आवश्यकता है। राहुल गांधी ने कहा था कि अगर किसी कार्यकर्ता ने किसी मंत्री की शिकायत की कि वह उनकी बात को सुन नहीं रहा है या मिलने का समय नहीं दे रहा है तो उसे तत्काल मंत्री पद से हटा दिया जाएगा। बस यही मुख्यमंत्री कमलनाथ की चुनौती है । चुनौती इसलिए भी कि कमलनाथ अभी मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं और उन्हें सत्ता के साथ साथ संगठन को भी साधना है । चुनौती इसलिए भी कि भाजपा में आम  कार्यकर्ता भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिल भी लेता था और अपनी बात भी कह लेता था । भले कुछ हो या ना हो । कमलनाथ से आम कार्यकर्ता का मिलना  दूभर है । कमल नाथ से मिलने के लिए उनके साथ में ही काम करने वाले कई दिग्गज अधिकारियों और पदाधिकारियों को समय लेना पड़ता है । समय मिल गया तो ठीक वरना चलते चलते बात करना भी संभव नहीं होता । यह कमलनाथ की अच्छाई भी हो सकती है लेकिन यही अच्छाई कमलनाथ के लिए नुकसान का सबब भी बन सकती है ।

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