"कमलनाथ" मध्यप्रदेश को एक बार तो "छिंदवाड़ा" समझिए

 

ज्यादा खर्चा नहीं होगा बस इच्छा शक्ति जगाना होगी
...... तो नहीं होती 11 मौतें

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के कार्यकर्ता यह कहते हुए नहीं थकते कि एक बार छिंदवाड़ा देख कर आइए । छिंदवाड़ा में विकास ऐसा। मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी और मुख्यमंत्री कमलनाथ के मातहत मंत्री कागज पर छिंदवाड़ा लिखा देखकर ऐसे गतिशील होते हैं मानो उनसे तेज कोई दौड़ ही नहीं सकता । वल्लभ भवन का सुरक्षाकर्मी छिंदवाड़ा के आम आदमी को जब सम्मान देता है तो शेष मध्य प्रदेश के नागरिकों को ऐसा लगता है कि मानों वे किसी दूसरे देश में आ गए हो । बस इसीलिए कमलनाथ से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश को एक बार छिंदवाड़ा सा समझें। शुरुआत में कोई खर्चा नहीं होगा । बस एक बार इच्छा शक्ति जगाना होगी । अगर यह पहले जाग जाती तो भोपाल के तालाब में 11 युवक असमय मौत के काल का गाल नहीं बनते। अभी भी देर नहीं हुई है। कुछ सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं। उनका माकूल जवाब दे दीजिए। 
सर्वप्रथम घटना की ओर आपकी नजर ले जाने का प्रयास करता हूं । 12- 13 सितंबर को पूरे प्रदेश में गणपति विसर्जन किया जा रहा था । भोपाल के छोटे तालाब पर भी तमाम अव्यवस्थाओं के बीच गणपति विसर्जन चल रहा था। इसी बीच एक नाव पर क्षमता से अधिक सवार युवक और गणपति की मूर्ति विसर्जन के लिए ले जाई जा रही थी । नाव पलट गई और सवार युवक तालाब में डूब गए । 11 की मौत हो गई आखिर तालाब पर विसर्जन की व्यवस्था में लगा जिला प्रशासन ,पुलिस और नगर निगम के अधिकारी उस वक्त क्या कर रहे थे ?

आखिर बिना लाइफ जैकेट के नाव में क्षमता से अधिक यात्री सवार कैसे हो गए ? 

जब बड़ी मूर्तियों का विसर्जन क्रेन के माध्यम से किया जा रहा था। तो वह विशाल मूर्ति नाव तक कैसे पहुंच गई ?
 आखिर दुर्घटना के बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारी लीपापोती करने का प्रयास क्यों कर रहे हैं ?

क्या छोटे कर्मचारियों को निलंबित करने से ग्यारह मौतों को न्याय मिल पाएगा ?

 क्या इस दुर्घटना  की निष्पक्ष जांच हेतु कोई न्यायिक जांच कराई जाएगी ?

जब जिला शांति समिति की बैठक में शामिल हिंदू और मुस्लिम नेताओं ने घाटों की मरम्मत कराए जाने की आवश्यकता जतलाई थी ।तो वहां बैठे अधिकारियों ने उन सुझावों पर क्या अमल किया? अगर अमल नहीं किया तो क्या उन पर कार्यवाही की जाएगी?

 जिला शांति समिति की बैठक में भोपाल के प्रभारी मंत्री शामिल क्यों नहीं हुए?

 यह सवाल मौजू और तब हो जाते हैं। जब घटनास्थल राजधानी हो अति महत्वपूर्ण क्षेत्र पुलिस मुख्यालय के सामने हो। घटनास्थल उस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता हो जिसमें अति महत्वपूर्ण संस्थाएं मंत्रालय और विधानसभा आती हो। लापरवाही और प्रशासनिक संवेदनशीलता के लिए यह उदाहरण काफी महत्वपूर्ण है।
 मैं जिस इच्छाशक्ति को जगाने की बात कह रहा हूं। वह कठोर होकर प्रशासनिक निर्णय लेने की है । जिससे संभवतः  भविष्य में ऐसी दूसरी घटना की पुनरावृत्ति ना हो।

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