अगर श्वेता जैन अपराधी है तो खुशी कूलवाल के अपराधी भी पकड़ों

  असल हनी ट्रैपर तो अफसर -  राजनेता और राजनेताओं के राजकुमार हैं

खबर नेशन / Khabar Nation

हनी ट्रैप मामले में तीन करोड़ रुपए की एक्सटार्शन वसूली के प्रयास करते पकड़ाई युवतियां अगर अपराधी है तो इंदौर की खुशी कुलवाल के अपराधियों को पकड़ने का साहस भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिखाना चाहिए । असल हनी ट्रैपर तो समाज के वो रसूखदार अफसर , नेता और राजनेता पुत्र हैं जो अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए भोली भाली लड़कियों को जाल में फंसाकर शोषण करते हैं । और फिर या तो उन्हें मरने पर मजबूर कर देते हैं या फिर इस तरह के अपराध करने के लिए उकसा देते हैं । इंदौर का मामला उजागर होने के बाद जब इस मामले से जुड़े अपराधियों के परिजन , जांच अधिकारी और सामाजिक विश्लेषकों से चर्चा की तो एक ही बात निकलकर आई कि त्वरित धनवान बनने की चाहत में ये लड़कियां मजबूरन और शौकिया तौर पर इस गंदगी में आती हैं और बाद में चंद रसूखदारों के चुंगल में फंसकर शोषण का शिकार हो जाती हैं ।              

  पहला मामला इंदौर की खुशी कुलवाल का

                                             खुशी कूलवाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी   ।  दारुबाजी और अय्याशी के लिए बदनाम यशवंत क्लब में बेहद चर्चित रही सदस्य खुशी हाई प्रोफाइल और लेट नाइट पार्टियां करने के लिए मशहूर थी । क्लब में ही वो इन बिगड़े रईसजादों के संपर्क में आई और इनके जाल में ऐसे उलझी की कभी बाहर निकल ही नहीं पाई।  इस दौरान दो बिल्डर भाइयों ने संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया। दरअसल, खुशी को रहने के लिए पहले एक फ्लैट दिया गया और फिर उस पर पैसे के लिए दबाव बनाया गया। पैसा ना चुकाने पर उससे कई गलत काम करवाने और लोगों को बदनाम करवाने की कोशिश भी की गई।  जानकारी के मुताबिक ये रईसजादे खुशी के साथ गोवा में छुट्टियां मनाने भी गए थे और वहां की तस्वीरें और फोटो सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बने हुए है।  यशवंत क्लब के चुनाव में भी गोवा का वीडियो बड़ा मुद्दा था । जिसके बाद चारों तरफ से आ रहे दबाव को खुशी सहन नहीं कर पाई और उसने आत्महत्या कर ली ।

तीन बिगडैल रईसजादों और एक आईएएस अफसर का नाम सुर्खियों में

 खुशी के यशवंत क्लब में कई बड़े कारोबारी व बिल्डरों से अच्छे संबंध थे। फांसी लगाकर खुदकुशी करने वाली खुशी कूलवाल की आत्महत्या के पीछे क्या एक आईएएस अफसर और एक प्रतिष्ठित कॉलेज के तीन बिगडे रईसजादों का हाथ है?  इन लोगों ने बायपास पर एक निजी स्कूल को अपनी अय्याशी और शराबखोरी का अड्डा बना रखा था ।महिला का भरपूर फायदा उठाया और उसे बेहद मानसिक यातना दी । खुशी मयूरी नामक युवती और एक बार्टेंडर के संपर्क में थी।  मयूरी ने ड्रग्स और शराब की लत लगा दी थी। उसके जरिये ही धीरज, संजय और देवराज से संपर्क हुआ। तीनों कारोबारी पार्टी के लिए गोवा ले गए। यहां खुशी का वीडियो बना लिया गया। बताया जाता है कि संजय अपने फार्म हाउस में भी पार्टी करता था। धीरज वीडियो वायरल करने की धमकी देकर बड़े अफसरों से मिलने का दबाव बना रहा था। लेकिन इस आईएएस के प्रभाव के कारण पुलिस इस मसले पर कार्रवाई नहीं कर रही है और मामले को रफा—दफा करने में जुटी है। इस अफसर और महिला का आॅडियो भी पुलिस के पास है लेकिन इसे जारी नहीं किया गया है और ना ही अफसर से पूछताछ की गई । इस आईएएस की शिकायत तत्तकालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्तकालीन मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह तक भी पहुंच चुकी थी लेकिन भोपाल में अपने तगड़े संपर्कों के कारण इस अफसर की कुर्सी बची रही। इन तीन रईसजादों में से एक होटल समूह से जुड़ा है और प्रशासन में काफी अच्छी पकड़ रखता है। वहीं दूसरा शख्स पुराने दरबार परिवार से जुड़ा है। तीसरा शख्स दिवालिया हो चुका है और बैंक ने संपत्ति की नीलामी के लिए विज्ञापन भी दिया था लेकिन जब से इस आईएएस की स्थापना शहर में हुई थी तबसे इस शख्स की आर्थिक स्थिति में आश्चर्यजनक ढंग से सुधार आया है।

चारों तरफ से दबाव सहन नहीं कर पाई

बेटे के भविष्य के कारण खुशी राहुल के साथ लिवइन में रहने लगी । वह दबाव सहन नहीं कर पाई और बहन (पंजाब) को कॉल कर फांसी पर झूल गई।पुलिस जांच में पता चला है ख़ुशी का विवाद लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले राहुल से हुआ था। खुशी का पूर्व पति मयंक कूलवाल से भी विवाद चल रहा था। कुछ साल पहले दोनों का तलाक हो गया था, लेकिन बेटे दक्ष की खातिर वह मयंक के साथ फिर रहने लगी थी, लेकिन इस बार भी उसकी पति और ससुराल वालों से नहीं बनी।

 

मेरी मौत के बाद मेरी अनर्गल इंक्वायरी नहीं की जाए।

खुशी ने सुसाइड नोट में खुद को बताया जिम्मेदार, बेटे दक्ष को दिया अंत्येष्टि का हक:  एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उसने मौत का जिम्मेदार खुद को बताया था। उसने लिखा था- मैं बेहद परेशान हूं। मेरी मौत के बाद मेरी अनर्गल इंक्वायरी नहीं की जाए। बेटे दक्ष को उसने अंतिम संस्कार का हकदार बताया था।

 

कांग्रेस नेताओं की भूमिका

 

खुशी कुलवाल के आत्महत्या केस की ईमानदारी से जांच नहीं की गई । पुलिस के अधिकारी एक आय ए एस अफसर और रसूखदार कांग्रेस नेता को बचाने के चक्कर में लगे रहे ।

श्वेता विजय जैन के हनी ट्रैपर बनने की कहानी

1984-1987 तक इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा छात्र नेता विजय जैन सागर से इंदौर आया था । सागर के सम्मानित और संपन्न परिवार के विजय जैन का बुन्देलखण्ड के छात्र-छात्राओं के बीच मजबूत पकड़ थी ।विजय जैन तभी से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े छात्र नेताओं और वरिष्ठ नेताओं के साथ उसका लगातार संपर्क रहता था । बाद में विजय जैन वापस सागर चला गया । उच्च राजनीतिक पकड़ के चलते विजय जैन की राजनैतिक महत्वाकांक्षा जोर मारती रही।जिसको देखकर बुन्देलखण्ड के कद्दावर नेताओं ने उसे शराब के नशे में डुबा दिया । इसी बीच पारिवारिक कलह और पैसों की तंगी से परिवार विघटित हो गया । भाजपा शासनकाल में इंदौर के कद्दावर नेता के सागर का प्रभारी मंत्री बनने के बाद विजय जैन की स्थति में थोड़ा सुधार होना शुरू हुआ । श्वेता विजय जैन को छोटे मोटे काम भी मिलना शुरू हो गये । काम के सिलसिले में श्वेता और विजय जैन का भोपाल आना जाना शुरू हुआ । उच्च राजनीतिक संपर्को को देखकर अब श्वेता की राजनैतिक महत्वाकांक्षा कुलांचें मारने लगी । जिसका भरपूर फायदा भाजपा के दो कद्दावर मंत्रीयों ने उठाया । इसी बीच श्वेता के आर्थिक हितों और राजनैतिक महात्वाकांक्षा की आड़ में भरपूर शोषण किया गया । उसे भारतीय जनता युवा मोर्चा का पदाधिकारी बना दिया गया । श्वेता सागर से विधानसभा चुनाव का टिकट मांग रही थी और बुन्देलखण्ड के कद्दावर नेताओं के हाथ एक श्वेता की वीडियो क्लीपिंग हाथ लग गई । जिसकी आड़ में श्वेता के राजनैतिक कैरियर को खत्म किया ही गया । सागर के स्थानीय कद्दावर नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेंक ली ।

श्वेता अचानक गुमनामी के अंधेरे में चली गई लेकिन इसी बीच निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों और नेताओं ने उसका शोषण करना जारी रखा । जिसके बाद श्वेता ने कई लोगों की वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली और फिर वो खुलकर अपराध के दलदल में उतर गई ।


दोनों घटनाक्रम को देंखे तो भारतीय जनता पार्टी के एक नेता जो अब सिर्फ कार्यकर्ता भर बनकर रह गए हैं शिवशंकर पटेरिया का शेर मौजूं बैठता है...

 

महज भूखी नहीं,ये मछलियां

पागल भी होती हैं।

जिसे आटा समझतीं हैं,

वहीं कांटा निकलता है।।

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