मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त का दोष
ज्वलंत मुद्दों पर ऐसा आचरण ?
गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा और देश की जानीमानी पत्रकार बरखा दत्त खरगोन दंगे जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर गलती कर बैठे। जहां मिश्रा संसदीय और सांस्कृतिक आचरण के खिलाफ जाते हुए दिखें तो वहीं बरखा दत्त पत्रकारिता की आचरण संहिता का उल्लंघन करते हुए नजर आई।
भारत की जानीमानी टी वी पत्रकार बरखा दत्त कल मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा के साथ एक वीडियो इंटरव्यू कर रही थी। बरखा के सवाल तीखे थे और नरोत्तम का आचरण तीखा। इंटरव्यू के दौरान मिश्रा बेतकल्लुफ़ होकर भोजन करते हुए बेबाकी से जबाब दे रहे थे। बस एक यही वजह है जिसे दोनों पक्षों की गलती के तौर पर माना जाना चाहिए । साथ में दी गई लिंक पर जाकर इसे देखा जा सकता है
https://youtu.be/ji5GCN-inlY
बरखा की गलती -
गौरतलब है कि बरखा दत्त वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार हैं। सामान्यतः पत्रकार को किसी नेता या अधिकारी से बात करते समय उसकी निजता का हनन नहीं करना चाहिए। पत्रकार और नेता के बीच अनौपचारिक चर्चा के दौरान भी इस बात का लिहाज किया जाता है। फिर यह तो औपचारिक और पूर्व निर्धारित चर्चा थी। ऐसी परिस्थिति को देखकर बरखा दत्त श्री मिश्रा से आग्रह कर सकती थी कि वे या तो पहले भोजन कर लें या फिर चर्चा ।
डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा की बेबाकी या बागीपना
डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा उस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विश्व में भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए जी जान से जुटी हुई है। भारतीय संस्कृति में भोजन करते समय शांत मन के साथ मौन रहने का पालन करना सिखाया जाता है। तो क्या नरोत्तम के इस बेबाक अंदाज को अपने वरिष्ठों के नियम नीतियों का बागीपन माना जाए । यूं भी नरोत्तम मिश्रा संसदीय ज्ञान के प्रमुख जानकार होने के साथ साथ मध्यप्रदेश में लंबे समय से संसदीय मंत्री की भूमिका भी निभा रहे हैं। संसदीय कार्यवाही के दौरान आसंदी और सत्ता एवं विपक्ष के सदस्य खाने से बचते हैं। हां इस दौरान पानी जरुर पिया जा सकता है। ऐसे ही न्यायाधीश सर्वशक्तिमान होते हुए भी न्याय प्रक्रिया के दौरान खाने से बचता है। अक्सर राजनीति में यह बात सामने आती हैं कि फंलाना प्रतिनिधिमंडल भोज पर चर्चा करेगा। इस दौरान भी चर्चा या तो भोज के पहले होती है या भोज के बाद ।