बदलते तेवरों का साल 2017

मधुर बगावत आक्रोशित सत्ता का टेक ऑफ
 

खबरनेशन / Khabarnation
 

अमूमन राजनीति हमेशा सत्ता पाने पर विनम्र और विरोध में आक्रामक शैली के साथ की जाती हैं। पर भारतीय राजनीति में 2017 का साल मधुर बगावत और आक्रोशित सत्ता की शैली से भरा रहा या यूं कहे भारतीय राजनीति में नई शैली का उदय होने जा रहा हैं।
 

सत्ता हमेशा दंभ से भरी रही हैं, लेकिन सत्ता का शीर्ष हमेशा विनम्र बना रहे और विपक्ष हमेशा आक्रामक रहा हैं। भारतीय राजनीति का यह दौर राजतंत्र से लेकर ब्रिटिश काल और वर्तमान लोकतंत्र में भी दिखता रहा। पर इस सबके बीच एक खासियत रही कि सौजन्यता हमेशा बरकरार रही, ताकि भविष्य में वक्त पड़ने पर एक दूसरे का साथ लेकर अपने मंसूबे पूरे किये जा सके।
 

हालियां दौर में विगत चार-पॉच साल से भारतीय राजनीति ने एक नया स्वरूप ग्रहण किया उपहास भरी राजनीति और विपक्ष को दमनकारी रवैये के साथ खत्म करने की भावना। संपूर्ण देश में राजनेताओं के बीच तो दूर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच कड़वाहट के बीज इस कदर घुल गए कि कई घरों में विपरीत राजनैतिक विचारधारा के बीच दीवारें खड़ी हो गई और विभाजन की नौबत आ गई।
 

हाल ही में भारत के प्रमुख विपक्ष कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि हम प्यार भरी राजनीति करेंगे। क्रोध की राजनीति नहीं करेंगे। यह संकेत कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के अहमदाबाद में चुनाव परिणामों की समीक्षा बैठक के दौरान दिए। अगर गुजरात चुनाव के कांग्रेस पार्टी के कैंपेन को देखें तो यह बात स्पष्ट तौर पर दिखाई दी कि पूरा कैंपेन कांग्रेस ने शांत और संयत लहजे में पूरा किया। इसी के साथ ही विरोधियों पर तीखा या यूं कहें स्तरहीन टिप्पणी को राहुल ने बर्दाश्त नहीं किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
 

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