ऐसे उपाय जो सूखी खांसी–कफ को कहें बाय-बाय

संडे क्लीनिंग 

खबरनेशन / Khabarnation

पंकज शुक्ला 

हम में से कुछ लोग होते हैं जिन्‍हें महीनों सूखी खांसी परेशान करती है। कुछ लोग हैं जिन्‍हें बोलते समय बार-बार खखारना पड़ता है। हममें से कई लोगों को महसूस होता है कि गले में कफ अटका है। कफ की इस तकलीफ को खत्‍म करने के लिए ली गईं अंग्रेजी दवाइयां सेहत सुधारने के बदले कफ को सूखा देती है जो भविष्य में टी.बी., दमा जैसे श्‍वसन रोगों का कारण बनता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सूखी खांसी, कफ जमने की समस्‍या से निपटने के लिए क्‍या करें? इस बार ‘संडे क्‍लीनिंग’ में इसी की बात।

यह वसंत ऋतु का काल है। शरीर के शोधन की दृटि से वसंत को ऋतुराज की संज्ञा दी गई है। वसंत वास्‍तव में शीत व ग्रीष्‍म का संधिकाल है। इस काल में शरीर में संचित कफ प्रकुपित होता है। कफ प्रकोप से जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उलटी-दस्त आदि रोग उत्पन्न होने लगते हैं। अतः इस समय आहार-विहार का विशेष ख्‍याल रखना चाहिए।

पाचक अग्नि कमजोर होती है इसलिए बेहतर है कि अप्रैल मध्‍य तक देरी से पचनेवाले गरिष्‍ठ, शीतल पदार्थ, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफवर्धक हैं। वसंत में मिठाई से जितना दूर रहेंगे, सूखी खांसी भी उतनी दूर रहेगी। सुखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन सर्वथा वर्जित है।

इनके बदले हमें शीघ्र पचनेवाले, कम तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

कभी भी भरपेट भोजन ना करें और न दिन में सोएं।

सप्‍ताह में एक उपवास हितकारी है। इस उपवास में भारी फलाहार नहीं करना चाहिए।

हरड चूर्ण, सौंठ (अदरक पावडर), नागरमोथा का सेवन लाभप्रद होता है।

भोजन के पहले अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है।

पाचक अग्नि मंद होने के कारण गैस बनने की समस्‍या होती है। ऐसे में अजवाइन, मैथी दाने प्रयोग करना चाहिए। रात को भिगोये हुए मेथी दानों को सुबह चबाकर पानी पीने से गैस की समस्‍या दूर होती है।

सुबह जल्दी उठकर थोड़ा व्यायाम करना, दौडऩा लाभदायक होता है। तिल तेल से मालिश करके सूखे द्रव्य आँवले, त्रिफला अथवा चने के आटे आदि का उबटन लगाकर गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।

नीम की 15-20 कोंपलें 2-3 काली मिर्च के साथ चबा-चबाकर खानी चाहिए। 

चैत्र मास के दौरान अलौने व्रत (बिना नमक के व्रत) करने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है एवं त्वचा के रोग, हृदय के रोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.), गुर्दा (किडनी) आदि के रोग नहीं होते।

इस ऋतु में ज्वर बाजरा मक्का आदि रूखे धानों तथा मूंग, मसूर, अरहर, चना की दाल, मूली, घीया, गाजर, बथुआ, चौलाई ,परवल, सरसों, मैथी, अदरक आदि का सेवन हितकर है।

शरीर संशोधन हेतु वमन, विरेचन नस्य, कुंजल आदि क्रियाएं करने का विधान है। स्रोतसों में जमा कफ की शुद्धि के लिए पंचकर्म चिकित्सा में वमन क्रिया उत्तम मानी जाती है। इस क्रिया के जरिये प्रकुपित कफ शरीर से बाहर निकलता है। ध्‍यान रखें, यह क्रिया पंचकर्म विशेषज्ञ की सलाह उपरांत ही करें। 


इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए खबरनेशन एक साप्ताहिक कॉलम की शुरुआत करने जा रहा है। wellnessecho.com के सहयोग से 'संडे क्लीनिंग' शीर्षक वाले इस कॉलम में हम आपको बताएंगे कि सप्ताह का सिर्फ एक दिन और दिनचर्या के कुछ बदलाव आपके जीवन में कितना परिवर्तन ला सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ रखने के टिप्स देने के साथ ही आसान, वैकल्पिक और घरेलू उपचार व वेलनेस पद्धतियों से अवगत करवाना भी है। हर शनिवार इस कालम में आपकों बताएंगे कि पूरा सप्ताह कैसे बिताना हैं....आपकी शंका का समाधान भी करेंगे विषय विशेषज्ञ ...। अगर आप विषय विशेषज्ञ से अतिरिक्त मार्गदर्शन चाहते हैं तो 7999577073 पर समपर्क कर सकते हैं।

लेखक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र सुबह सवेरे के रेसीडेन्ट एडिटर हैं।

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