क्या आपको पानी पीना आता है? 

खबरनेशन / Khabarnation

पंकज शुक्ला-

हम जीवन में सेहत के प्रति फिक्रमंद तब होते हैं जब कोई समस्या सिर उठा लेती है। छोटे-मोटे दर्द को तो हम नजरअंदाज ही करते हैं, जबकि हमारा शरीर दर्द जैसे कुछ संकेत बार-बार देता है कि संभल जाइए आपका स्वास्थ्य खतरे में हैं। जितना पहले हम संभलेंगे उतना हमारा स्वास्थ्य लाभ। इसलिए, यदि आप सोचते हैं कि सेहत सुधारने में एक दिन का क्या महत्व तो आप गलत हैं। जिस दिन से शुरुआत हो जाए, उस दिन का बड़ा महत्व है। तो आइए, शुरुआत करते हैं ‘संडे क्लीनिंग’ की। 
 

असल में, हमारे प्राचीन आयुर्वेद शास्त्रों में केवल बीमारियों के उपचार का ज्ञान ही नहीं दिया गया है बल्कि यह दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक आरोग्यता का मार्ग सुझाता है। आचार्य सुश्रुत ने कई सौ साल पहले कहा है - 
 

“समदोष: समाग्निश्च समधातुमलक्रिय: I
प्रसन्नात्मेंद्रियमन: स्वस्थ इत्यभीधियते II “

अर्थात जिस व्यक्ति का दोष, धातु, मल सम अर्थात विकार रहित हो, जिसकी इंद्रिय , मन तथा आत्मा प्रसन्न हो, वे स्वस्थ हैं I 
 

1948 में दी गई और फिर 1984 में संशोधित की गई विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की परिभाषा भी ऐसी ही है :- 
 

“Health is a state of complete physical, mental, spiritual and social well being and not merely the absence of disease.”
और जब हम सम्पूर्ण स्वास्थ्य की बात करते हैं तो पाचन का जिक्र आता है। आज अधिकांश लोगों को पित्त, वायु, और कफ के असंतुलन से कई तरह की पाचन समस्यायें हैं। 

 

हमें समझना होगा कि कितना भोजन किया, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि कितने प्रतिशत भोजन पचा। पाचन को संतुलित करने के लिए जीवन चर्या को सुधारना आवश्यक है। कई उदाहरण हैं कि पेट और मधुमेह के रोगियों को केवल पाचन ठीक कर जीवन कष्टों से मुक्ति दिलाई गयी है। रोग कोई हो हमें पाचन पर पहले ध्यान देना चाहिए। इस कार्य में पानी भी सहायक है। बस उसे पीने का तरीका जानिये, क्योंकि अधिकांश लोगों को पानी पीने का तरीका ही नहीं आता। इसके कुछ सूत्र हैं, जैसे:- 
 

- शीतल जल तो कभी न पियें, सामान्य तापमान का ही पियें, गुनगुना पानी पियें। पेट में ठंडा पानी जाने से शरीर का तापमान कम होता है और पेट में ऊष्मा पहुँचाने के लिये सारा रक्त पेट की ओर बहता है तो शरीर अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं करता है। 
 

- अधिक ठंडा पीने वालों को कब्ज की भी समस्या रहती है, क्योंकि ठंडे पानी का पृष्ठ तनाव (सर्फेस टेंशन) अधिक रहता है, उससे आंतें संकुचित हो जाती है और मल का प्रवाह रोकती है।
 

- सुबह उठते ही पानी पियें, बिना कुल्ला किये हुये, इसे ऊषापान कहते हैं। यदि ताँबे के बर्तन में रात भर का रखा जल हो तो अच्छा, नहीं तो जल गुनगुना कर लें। मात्रा लगभग एक लीटर, घूँट-घूँट कर और धीरे धीरे।
 

- आयुर्वेद आचार्य कहते हैं, पानी खाना और आहार पीना चाहिए। अर्थात, पानी घुट घुट आराम से पियें, और आहार को इतना चबाएं कि वह पीने जितना तरल हो जाये। 

- अपने शरीर के भार के अनुसार पानी पीना चाहिये। अपने वजन को दस से भाग देकर उसमें दो घटा दें, उतना लीटर पानी एक दिन में पिये, 70 किलो के व्यक्ति के लिये 5 लीटर।
 

- कितना पानी पीना चाहिए, इसका एक नियम यह भी है कि ज्यों ही प्या स लगने लगे, होंठ सूखने को हो, उसके पहले पानी पी लें। प्यास लगना महसूस होना पानी की कमी हो जाने का सूचक है। 
 

- कम पानी पीते हैं तो धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाएं ताकि किडनी पर दबाव न बने। 
 

- ध्यान रखिये प्यास एक वेग है। इसे कभी न रोकें। शरीर में जल की कमी होते ही वह रक्त से वह कमी पूरी करने लगता है जो ठीक नहीं है।

 

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए खबरनेशन एक साप्ताहिक कॉलम की शुरुआत करने जा रहा है। wellnessecho.com के सहयोग से 'संडे क्लीनिंग' शीर्षक वाले इस कॉलम में हम आपको बताएंगे कि सप्ताह का सिर्फ एक दिन और दिनचर्या के कुछ बदलाव आपके जीवन में कितना परिवर्तन ला सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ रखने के टिप्स देने के साथ ही आसान, वैकल्पिक और घरेलू उपचार व वेलनेस पद्धतियों से अवगत करवाना भी है। हर शनिवार इस कालम में आपकों बताएंगे कि पूरा सप्ताह कैसे बिताना हैं....आपकी शंका का समाधान भी करेंगे विषय विशेषज्ञ ...। अगर आप विषय विशेषज्ञ से अतिरिक्त मार्गदर्शन चाहते हैं तो 7999577073 पर समपर्क कर सकते हैं।

लेखक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र सुबह सवेरे के रेसीडेन्ट एडिटर हैं।

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