चाय-कॉफी पी तो उपवास का ‘पुण्‍य’ न मिलेगा

- पंकज शुक्‍ला

इस रविवार से नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। नवरात्रि देवी साधना का पर्व है। इस दौरान उपवास कर, विशेष दिनचर्या, अनुष्‍ठान आदि के द्वारा ईश आराधना की जाती है। कई लोग एक समय का उपवास रखते हैं तो कई पूरे नौ दिनों तक केवल ‘फलाहार’ करते हैं। कड़ी साधना के इन दिनों में केवल एक लौंग खा कर भी उपवास किए जाते हैं। ये सारे उपक्रम केवल आराधना के लिए ही नहीं है बल्कि स्‍व अनुशासन और अपनी क्षमता परखने तथा स्‍वयं को विपरीत परिस्थितियों से गुजारने की मंशा से होते हैं। देवी आराधना के ये दिन आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हो सकते हैं मगर ऐसा होता नहीं। हम खाना छोड़ कर उपवास तो आरंभ कर देते हैं मगर अपनी आदत पर अंकुश नहीं लगा पाते और दिन भर भूखे रहते हुए चाय-कॉफी पीते रहते हैं। उपवास का सेहत की दृष्टि से लाभ तभी मिलेगा जब आप चाय-कॉफी का भी त्‍याग कर सही में ‘फलाहार’ करें।

हम अकसर देखते हैं कि विभिन्‍न शोधों तथा अध्‍ययनों का हवाला देकर बताया जाता है कि चाय और कॉफी पीने के कई लाभ हैं। कोई अध्‍ययन दूध रहित ब्‍लैक टी को लाभकारी बताता है तो कुछ अध्‍ययन कॉफी पीने को ऊर्जा पाने का बेहतर तरीका बताते हैं। समझ नहीं आता कि सही क्‍या है और हम इन तर्कों के परे अपने स्‍वाद के गुलाम हो रोजाना कई कप चाय-कॉफी पेट में उड़ेलते रहते हैं। बेहतर होगा कि आप नवरात्र उपवास के दौरान किए जा रहे भोजन के सख्त प्रतिबंधों में चाय-कॉफी को भी शामिल करें। इससे न केवल आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म-सुधार होगा बल्कि सेहत भी सुधरेगी। असल में, खाली पेट चाय-कॉफी पीना फ्री रेडिकल्स और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकती है और जल्दी बुढ़ापा आ सकता है। इससे बचने के लिए आम दिनों में भी सुबह जाग कर एकदम चाय-कॉफी पीने की जगह पानी पिया जा सकता है और उसके आधे घंटे बाद ही चाय लें। ऐसा करने से नुकसान कम होगा।

उपवास के दौरान खाली पेट बार-बार चाय पीना एसिडिटी जैसी समस्या को जन्म दे सकती है। आप आम चाय की जगह हर्बल चाय का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन वह भी दो बार से ज्यादा न लें। विभिन्‍न अध्‍ययन बताते हैं कि. दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है। चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है जिससे हृदय के रोग उत्पन्न होते हैं। चाय में कैफीन तत्व छ: प्रतिशत मात्रा में होता है जो रक्त को दूषित होता है तथा रक्‍त के दूषित होने से चर्म रोग होते हैं।

अगर आप इन अध्‍ययन को नहीं मानते हैं तो स्‍वयं अपने अनुभवों को देखें। आप सोचेंगे तो पाएंगे कि जिस दिन आपने अधिक चाय या कॉफी है उस दिन कम भूख लगी या अगले दिन कब्‍ज और गैस की समस्‍या हुई। इसका कारण यह है कि चाय से आंतों में नुकसान होता है तथा पोषक तत्‍व शरीर में अवशोषित करने वाली बड़ी आंत में जलीय तत्‍व की कमी आती है। इससे कब्‍ज की शिकायत बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, चाय में यूरिक एसिड होता है जो मूत्राशय या मूत्र नलिकाओं को कमजोर करता है। इस कारण चाय का सेवन करने वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र त्‍याग करना पड़ता है। ऐसे में उपवास वाले दिनों में शरीर में पानी का संकट या डिहाईड्रेशन हो सकता है।

ऐसे में यदि आप उपवास कर रहे हों या न कर रहे हों तो भी अपने जीवन से चाय-कॉफी की मात्रा कम कीजिए। उपवास के दौरान तो अनाज की तरह ही चाय-कॉफी को पीना बंद या न्‍यूनतम कर दीजिए। यह भी न हो तो संकल्‍प लीजिए की सुबह खाली पेट चाय-कॉफी नहीं पिएंगे।  

उपवास के दौरान या साधारण तौर पर भी आप सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले सकते हैं। उसमें शहद और नींबू की कुछ बूंदें या आंवले के टुकड़े मिला सकते हैं। उपवास के दौरान  आपको अपने शरीर में पानी की मात्रा का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। व्रत में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए। साथ ही शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए नारियल पानी, नींबू पानी, ग्रीन टी और छाछ का भी सेवन किया जा सकता है। नारियल पानी दिन में कई बार ले सकते हैं। इससे बॉडी के जरूरी न्यूट्रिएंट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स भी मिलेंगे। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे बॉडी हाइड्रेट रहेगी और अंदरूनी सफाई (जिसे डिटॉक्‍स कहा जाता है) भी होगी। व्रत के समय पर आप फ्रूट शेक्स भी पी सकते हैं। इससे आपको एनर्जी, प्रोटीन, कार्बो जैसी कई चीजें आसानी से मिल जाएंगी।अइसके अलावा आपको व्रत में फुल क्रीम दूध यानि मलाई वाला दूध भी नहीं पीना चाहिए। मलाई वाला दूध फैट बढ़ाता है। सेहत की दृष्टि से आपको टोन मिल्क या मलाई निकला दूध पीना चाहिए।

 

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लेखक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र सुबह सवेरे के रेसीडेन्ट एडिटर हैं।

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