‘चिल्‍ड वॉटर’ न, बिल्‍कुल न...

संडे क्‍लीनिंग

खबरनेशन / Khabarnation 

पंकज शुक्‍ला 

 

चैत्र माह विदा लेते ही सूरज अपने तेवर दिखाना शुरू कर देगा। इसके पहले ही हमने अपने घरों व दफ्तरों में पंखे, कूलर, एसी का उपयोग आरंभ कर दिया है। फ्रिज का पानी सहित कोल्‍ड ड्रिंक पीना हमारी बारहमासी आदतों में शुमार हो चुका है। गर्मी के मौसम में तो ‘चिल्‍ड वॉटर’ पीने में ही आनंद आता है। मगर क्‍या आप जानते हैं कि अत्‍यधिक ठंडा पानी पीने का अर्थ है अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करना। जी, हां। ठंडा पानी पाचनतंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है। एकदम ठंडा या फ्रीज का पानी पीना आयुर्वेद के सिद्धांतों के विरूद्ध है। आयुर्वेद के अनुसार ठंडा पानी शरीर की पाचक अग्नि को मंद करता है। पाचक अग्नि यानि हमारे आहार को पचाने वाले शक्ति। साफ है कि ठंडा पानी पीएंगे तो पाचन कमजोर होगा और शरीर को आवश्‍यक पोषक तत्‍व नहीं मिल पाएंगे। पाचन तंत्र का सही ढंग से काम न करने पर पित्‍त का असंतुलन होगा जो कई प्रकार की बीमारियों को जन्‍म देता है।

दूसरी ओर, ठंडा पानी पीने से गर्मियों में डिहाइड्रेशन यानि शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है। इस बात को स्‍वयं प्रयोग कर देखें। आप पाएंगे कि एकदम ठंडे पानी को आप कम मात्रा में पी पाते हैं जबकि सामान्‍य ताप वाले पानी को समान परिस्थितियों में आप अधिक पी लेते हैं। सामान्‍य ताप वाले पानी को पीने की आवृत्ति भी अधिक होती है। यानि बार-बार प्‍यास लगती है और आप पानी पी कर जलीय तत्‍व की आपूर्ति करते हैं जबकि ठंडा पानी कम मात्रा में कम बार पीया जाता है। इस तरह सामान्‍य ताप वाला पानी शरीर को कभी डिहाइड्रेटेड नहीं होने देता और शरीर में सामान्य जलस्तर बना कर रखता है।

ऐसे में बेहतर है कि गर्मियों में आप ‘चिल्‍ड वॉटर’ की जगह सामान्‍य ताप वाले या मटके के शीतल जल का उपयोग करें। इससे पाचक अग्नि मंद भी न होगी न आपको अधिक पित्‍त के कारण एसीडिटी का सामना करना पड़ेगा। मटके का पानी इसलिए कि  इसमें मृदा के गुण भी शामिल होते हैं जो पानी की अशुद्धियों को दूर करते हैं और लाभकारी मिनरल्स प्रदान करते हैं। ऐसे में शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में यह पानी फायदेमंद होता है। यदि आप आरओ का प्रयोग भी करते हैं तो उसके पानी को मटके में निकाल कर रखें। फ्रिज के पानी की अपेक्षा मटके का पानी पानी पीने से गला संक्रमित नहीं होता न कब्ज की समस्‍या होगी। इस पानी का पीएच संतुलन सही होता है। मिट्टी के क्षारीय तत्व और पानी के तत्व मिलकर उचित पीएच बेलेंस बनाते हैं, जो शरीर को किसी भी तरह की हानि से बचाते हैं और संतुलन बिगडऩे नहीं देते। 

गर्मियों में सौंफ वाला पानी

अधिक धूप में रहने या भी मसालेदार खाना खाने से या ज्यादा देर तक भूखे रहने से एसिडिटी की समस्या आम बात है। बार-बार दवाइयों का सेवन करने से सेहत को बहुत नुकसान हो सकता है, इसलिए कुछ नुस्‍खों को दैनिक आदतों में अपनाया जाना चाहिए। सौंफ हमारे पेट को ठंडा रखने में सहायक होती है। अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो थोड़े से पानी में सौंफ को डालकर रात भर के लिए रख दें और सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पी लें। ऐसा करने से आपको एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा नियमित रूप से सौंफ का पानी पीने से आपको कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

 

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए खबरनेशन एक साप्ताहिक कॉलम की शुरुआत करने जा रहा है। wellnessecho.com के सहयोग से 'संडे क्लीनिंग' शीर्षक वाले इस कॉलम में हम आपको बताएंगे कि सप्ताह का सिर्फ एक दिन और दिनचर्या के कुछ बदलाव आपके जीवन में कितना परिवर्तन ला सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ रखने के टिप्स देने के साथ ही आसान, वैकल्पिक और घरेलू उपचार व वेलनेस पद्धतियों से अवगत करवाना भी है। हर शनिवार इस कालम में आपकों बताएंगे कि पूरा सप्ताह कैसे बिताना हैं....आपकी शंका का समाधान भी करेंगे विषय विशेषज्ञ ...। अगर आप विषय विशेषज्ञ से अतिरिक्त मार्गदर्शन चाहते हैं तो 7999577073 पर समपर्क कर सकते हैं।

लेखक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र सुबह सवेरे के रेसीडेन्ट एडिटर हैं।

(खबरनेशन / Khabarnation)

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