दैनिक भास्कर से सरकार नाराज़?
जनसंपर्क विभाग के मंत्री भी हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान । नाराज़ कौन शिवराज या केन्द्रीय नेतृत्व
सरकारी विज्ञापनों पर कैंची चलाई
खबर नेशन / Khabar Nation
आप पढ़ रहे हैं देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर 1 अखबार की टैगलाइन के साथ समाचार जगत के बड़े अखबार में शुमार दैनिक भास्कर समूह से मध्यप्रदेश सरकार नाराज़ हो गई है । दैनिक भास्कर को दिए जाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर जमकर कैंची चलाई गई है । नाराजगी का कारण जाहिर तौर पर तो सामने नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर दैनिक भास्कर के रुख को देखते हुए यह कदम उठाए गए हैं ।गौरतलब है कि मध्यप्रदेश का जनसंपर्क विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधे-सीधे अपने पास रखा है । अब या तो शिवराज सिंह सीधे-सीधे तौर पर भास्कर समूह से नाराज़ हैं या फिर केन्द्रीय नेतृत्व के इशारे पर ही विज्ञापन रोके जा सकते हैं । किसी सरकारी अधिकारी की सीधे भास्कर समूह से टकराने की हिम्मत नहीं हो सकती है ।
विगत तीन दिनों से देश के नंबर 1 अखबार दैनिक भास्कर में विज्ञापन न के बराबर हैं । उधर अन्य अखबारों को सरकारी विज्ञापन जमकर बांटे जा रहे हैं । इसे यूं नहीं माना जाना चाहिए कि अन्य समाचार पत्र निष्पक्ष नहीं हैं , लेकिन किसी प्रमुख समाचार पत्र के साथ इस तरह का कदम मीडिया जगत को दबाने का प्रयास भी माना जाना चाहिए ।सवाल खड़ा होता है कि जब देश के इतने बड़े अखबार के साथ यह रवैया अपनाया जा सकता है तो छोटे समाचार पत्र और साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पत्र पत्रिकाओं के साथ सरकार का कैसा रवैया होता होगा । खासकर मध्यप्रदेश में काफी लंबे समय से समाचार पत्र पत्रिकाओं और न्यूज चैनलों एवं बेवसाइट के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर आम जनता की आवाज का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है । इस कार्य में मध्यप्रदेश में काबिज रही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने भी मीडिया को दबाने और कुचलने का भरपूर प्रयास किया ।