नारायण जी फ़िर तो बिके आप भी होंगे? बोलिए न...


अजीत लाड़, खण्डवा / खबर नेशन/ Khabar Nation
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 राजनीति भी बड़ी निराली बला है हुजूर! कब कौन बिकाऊ हो जाएं और कब अंतर्मन के जागृत होने पर विकास पुरूष पता ही नहीं चलता। जैसे-जैसे मध्यप्रदेश उपचुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जा रही, नेताओं के जुबां की तपिश में कौन क्या बोल जाएं पता नहीं। गडे मुर्दे राजनीति में उखाड़ने की पुरानी परंपरा है, लेकिन हम आज की बात करते हैं। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। इस चुनाव का मुद्दा विकास न होकर पहले बिकाऊ और टिकाऊ से शुरू होकर ज़ुबानी फ़िसलन पर आ गया है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नारायण पटेल की जुबां पर कौन सी देवी का वास हुआ यह पता नहीं, लेकिन जो वक्तव्य उन्होंने पर्चा दाखिले के वक्त दिया। वह कई सवाल खड़े करता है। सिर्फ़ नारायण पटेल की नीयत पर नहीं, पूरी की पूरी भाजपा पार्टी की भी। नारायण जी अब आप ही बताएं क्या सच में आप बिक़ कर ही भाजपा का दामन थामे हैं? अभी तक तो कांग्रेस आप पर बिकाऊ होने का श्लेष मात्र आरोप लगा रही थी, लेकिन आपके बयान को क्या समझें नारायण? आपका नाम नारायण है तो क्या समझें नारायण की महिमा से सबकुछ बोल गए और अंदर के राज खोल गए? बोलिए न नारायण? बोलिए जनता जानना चाहती है। आप तो अंतर्यामी है! क्या सच में सिंधिया पूरी कांग्रेस खरीद सकते? फ़िर तो आप भी बिके होंगें? कहने का कारण है नारायण! आप सिंधिया जी के बाद भाजपा के भगवा रंग में रंगे। क्या आपके लिए भी सिंधिया जी ने बोली लगाई? आपके ही मुख से निकला है, कि पूरी कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया जी खरीद सकते निहितार्थ तो यही है बोली आपकी भी लगी होगी, लेकिन क्यों और किस बिसात पर ये तो बता दीजिए? 
इतना ही नहीं नारायण आप तो यह भी बताने की कृपा करें। क्या भाजपा एक देश, एक पार्टी और एक चुनाव की तरफ़ तो नहीं बढ़ रही हुजूर? अभी तक बात एक देश-एक संविधान की थी, लेकिन आपकी बातों के निहितार्थ बड़े गहरे समझ आते! ग़ौरतलब हो मांधाता से बीजेपी प्रत्याशी नारायण पटेल ने खुद को कांग्रेस द्वारा गद्दार बताने पर कहा कि 25 विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गए। ज्योतिराज सिंधिया आधी नही पूरी कांग्रेस खरीद ले इतनी उनके पास स्टेट है। कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नही है इस लिए वह गद्दार जैसी बातें कर रही है। कांग्रेस ने कर्ज माफी के जो प्रमाण पत्र बांटे थे उनका पैसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भर रहे हैं। ऐसे में ये ख़रीदी और बिक्री का हिसाब किससे मांगा जाएं, कुछ तो कहिए साहब!


नारायण जी वैसे भाजपा जो करें वही सही हैं क्या देश में?

     हुजूर आप नाम से ही नर नहीं नारायण हैं। आपसे क्या छिपा है इस धरती पर। फ़िर आपके नामांकन की रैली हो और उसी में आम जन की सुविधाओं का ख़्याल न रखा जाएं। ये कैसे हो सकता? कोरोना काल में तो सोशल डिस्टनसिंग और मास्क आम व्यक्ति की दिनचर्या में न हो तो जैसे पहाड़ टूट पड़ता। फ़िर आप उसकी धज्जियां कैसे उड़ा सकते! अच्छा इस कारण से तो नहीं कि आपका नाम नारायण है? बताइए न हुजूर? बताइए सब जानना चाहते हैं। कोरोना आपका नाम सुनकर भाग गया या सारे नियम केवल अवाम के लिए ही बनते हैं। वैसे याद है न आज के नारायण! आपके पार्टी के ही एक नेता हैं जिन्हें मास्क न लगाने पर कई दिन बिना मुख के अखबारों की सुर्खियां मिली। फ़िर आप अपनी रैली में कैसे कोरोना काल के नियमों को भूल गए? गौरतलब हो खण्डवा के मांधाता उपचुनाव की नामांकन रैली में नेताओं का ऐसा हुजूम उमड़ा कि प्रथमदृष्टया देखकर लगा जैसे देश से कोरोना छूमंतर हो गया हो, लेकिन जब सच्चाई की तह में गया तो पता चला यह तो नारायण जी की रैली है। अब भई मामला राजनीतिक है, फ़िर कहाँ याद आएं कोई नियम-क़ायदे। एक कहावत है गुरु सइयां भये कोतवाल फ़िर डर काहे का। ऐसे में जब सांसद-विधायक सोशल डिस्टनसिंग आदि  का नियम तोड़ रहें फ़िर उनके अनुयायी तो नियम तोड़ेंगे ही। ऐसे में सवाल एक ही नैतिकता को ओढ़ने-बिछाने वाली भाजपा से जब आपके नेता ही नियम तोड़ते फ़िर गरीबों पर ज़ुल्म क्यों। वोट ही दिया है, उसकी क़ीमत यह तो नहीं बनती!
देखें वीडियो
 https://youtu.be/sNufrf6eLGM

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