सड़क धंसी...मलबे में दबे तीन मजदूर, एक का सिर धड़ से अलग

खबर नेशन / Khabar Nation  

आयोग ने कहा - कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, एवं आयुक्त, नगर निगम इंदौर 15 दिन में जवाब दें

इंदौर शहर की छोटी ग्वालटोली थाना क्षेत्र में बीते सोमवार को 20 फीट गहरे गढ्ढे़ में सीवरेज लाइन डालते वक्त सड़क धंसने से तीन मजदूर मलबे में दब गये, जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई। मलबा हटाने के दौरान मजदूर का शव बाहर निकल आया, लेकिन कांक्रीट गिरने से गर्दन से उपर का हिस्सा मलबे में दबा रह गया। देर शाम को शरीर का दूसरा हिस्सा मिला। एक मजदूर को एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर, इंदौर,  पुलिस कमिश्नर, इंदौर एवं आयुक्त, नगर निगम इंदौर से 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही पूछा है कि 01. कार्यरत् मजदूरों की सुरक्षा के क्या उपाय कार्य प्रारंभ करने के पूर्व सुनिश्चित किये गये थे ? 02. घटना किस कारण हुई और उसमें किसकी उपेक्षा रही है ? 03. मृतक व अन्य आहत मजदूरों के संबंध में क्या कोई आर्थिक मुआवजा राशि दी गई है या प्रस्तावित है ? 04. यदि कोई व्यक्ति ऐसी घटना का प्रथम दृष्टया दोषी प्रतीत होता है तो उसके विरूद्ध क्या वैधानिक कार्यवाही की गई है ?

साइबर क्राइम ने दिखाई तेजी, थाने में मामला अटका

आयोग ने कहा- पुलिस कमिश्नर, भोपाल 15 दिन में जवाब दें

भोपाल शहर के अशोका गार्डन निवासी नर्मदेश्वर तिवारी ने बीते अप्रैल 2022 में नई कार खरीदने के लिये बैंक से ऋण के लिये आवेदन किया था। बैंक ने उनका ऋण स्वीकृत कर दिया था, लेकिन कुछ रूपये जमा करना बाकी थे। इसी दौरान उनके पास एक फोन आया और तत्काल रूपये देने की बात कही। उन्होंने दी गई लिंक से 92 हजार रूपये जमा कर दिये। बाद में उनको एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो गई है। उन्होंने इसकी शिकायत तत्काल साइबर क्राइम पुलिस से की। इसके बाद तत्काल साइबर क्राइम पुलिस ने बीस हजार रूपये बैंक में रूकवा दिये थे। बाकी रूपये आरोपित ने बैक से निकाल लिये थे। उसी समय शिकायत की जांच तो शुरू की गई, लेकिन घटना पर अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। पीड़ित को पता चला कि उनके शिकायती आवेदन की केस डायरी अशोका गार्डन थाने भेज दी गई है, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हो रही है। पुलिस का कहना है कि जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज कर लेंगे। पीड़ित का कहना है कि अगर पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर लेती है तो वह रूपये उनको मिल जायेंगे, जो साइबर क्राइम पुलिस ने घटना के समय बैंक में रूकवाये थे। एफआईआर दर्ज नहीं होने से पीड़ित परेशान है। मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है। 

 

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