जेल में संदिग्ध हालत में चोटिल हुये कैदी की इलाज के दौरान मौत

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं सदस्य राजीव कुमार टंडन ने सात मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
अधीक्षक, केन्द्रीय जेल, भोपाल एवं अधीक्षक, जिला जेल/सर्किल जेल, शिवपुरी एक माह में दे जवाब
केन्द्रीय जेल, भोपाल में बंद अशोकनगर जिले के ग्राम नग्रेश्री के
 
निवासी सुखदीप पिता महलसिंह की न्यायिक हिरासत में संदिग्ध हालत में चोटिल हो जाने के बाद हमीदिया अस्पातल, भोपाल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक के भाई ने अशोकनगर देहात थाना चक पुलिस पर मारपीट करने के गंभीर आरोप लगाये हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा केस न लगाने के बदले में 30 हजार रूपयों की मांग की गई। रकम नहीं देने पर शराब तस्करी का फर्जी केस लगाकर जेल भेज दिया। जेल में किसी ने उसके साथ दोबारा मारपीट की। किसी भारी चीज से सिर में वार किया, जिससे इलाज के दौरान भाई की मौत हो गई। इधर, गांधीनगर पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है। कस्टुडियल डैथ के इस मामले की न्यायिक जांच शुरू कर दी गई है। मामले में आयोग ने अधीक्षक, केन्द्रीय जेल, भोपाल एवं अधीक्षक, जिला जेल/सर्किल जेल, शिवपुरी से एक माह में जवाब मांगा है।

जानकारी के पांच घंटे बाद भी नहीं पहुंची एम्बुलेंस, मरीज की मौत
आयोग ने कहा - मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नरसिंहपुर एक माह में दें जवाब
नरसिंहपुर जिले के गाड़रवारा से करीब बीस किमी दूर स्थित कोसकरपा गांव में
 
रहने वाले कन्हैया ठाकुर को हृदय की बीमारी थी। अचनाक सुबह तबीयत बिगड़ने पर उनके परिजन उन्हें सिविल अस्पताल, गाडरवारा लेकर गये। हालत की गंभीरता को देखते हुये सुबह करीब आठ बजे डाक्टर ने उन्हें नरसिंहपुर रैफर की सलाह दी। परिजनों ने मरीज को जिला अस्पताल, नरसिंहपुर ले जाने के लिये एम्बुलेंस को 108 पर फोन किया। सुबह आठ बजे से एम्बुलेंस के इंतजार में बैठे परिजनों को दोपहर के दो बज गये लेकिन एम्बुलेंस नहीं पहुंची। आखिरकार गरीब परिवार के मुखिया की हार्ट अटैक आने से दोपहर दो बजे मौत हो गई। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नरसिंहपुर से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है।

जानलेवा लापरवाही; मरीजों को चढ़ाया गया था बैक्टीरियल फंगस वाला स्लाइन
आयोग ने कहा - पीएस, स्वास्थ्य सेवाऐं, मप्र मंत्रालय, भोपाल एक माह में दें जवाब
जबलपुर जिले में
 
स्वास्थ्य विभाग की हद दर्जे की लापरवाही सामने आई है। मरीजों को लगाने के लिये आईं आइबी फ्लूड लिक्विड सोडियम कम्पाउंड की बोतलों में खरतनाक बैक्टीरियल एंडोटाक्विन फंगस था। यह खुलासा कोलकाता लैब से आई रिपोर्ट से हुआ है। मामला बीते जुलाई 2022 का है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार, विक्टोरिया अस्पताल में धार जिले की एक कंपनी आइबीज ड्रग्स लिमिटेड से 5 हजार आइबी फ्लूड कम्पाउंड सोडियम की आपूर्ति की गई थी। अस्पताल के डीबीडी व मेडिसन वार्ड में भर्ती मरीजों को आइबी फ्लूड चढ़ाया गया, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई। अस्पताल प्रबंधन की शिकायत पर ड्रग इंस्पेक्टर ने नमूने लेकर केन्द्रीय औषधि प्रयोगशाला, कोलकाता भेजे। मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य सेवाऐं, मप्र मंत्रालय, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही पूछा है कि आइबी फ्लड लिक्विड सोडियम कम्पाउंड की बोतलों में जबलपुर के पूर्व मंडला, धार आदि स्थानों पर भी अनियमितता पाये जाने के उपरांत सप्लायर कम्पनी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई ? ऐसी बोतलों की सप्लाई किन परिस्थितियों में जारी रखी गई ? इस संबंध में भी प्रतिवेदन दें। मानव जीवन से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी मामले में किसकी उपेक्षा रही है ? यह जानकारी भी प्रेषित करें।            

खरगोन में पानी के गढ्ढे में डूबने से तीन बच्चों की मौत

आयोग ने कहा - कलेक्टर खरगौन एक माह में दें जवाब

खरगोन जिले के ऊन थाना क्षेत्रांतर्गत मोठापुरा में बीते बुधवार को प्रितेश (13 वर्ष), चचेरा भाई वंश (9 वर्ष) तथा विक्रम (8 वर्ष) की पानी में डूब जाने से मौत हो गई। चार बच्चे दुपहिया वाहन का टायर दौड़ा रहे थे, इसी दौरान एक टायर पंचायत की ओवरफ्लो हुई टंकी से भरे कच्चे कुएं में गिर गया। बच्चों को गढ़्ढे में भरे पानी की गहराई का अंदाजा नहीं था और एक-एक करके तीन बच्चे उसमें जा गिरे। वंश का भाई प्रेम बाहर रह गया और उसने घर जाकर अपनी मां को घटना के बारे में बताया। तब जाकर ग्रामीणों ने तीनों बच्चों के शव को पानी से बाहर निकाला। मामले में आयोग ने कलेक्टर, खरगोन से एक माह में जवाब मांगा है। साथ ही कहा है कि प्रकरण की जाच कराकर मृतकों के परिवारजनों को सम्भावित आर्थिक मुआवजा राशि के संबंध में भी प्रतिवेदन दें।

कागजों में सीटी स्कैन... गड़बड़ी तो पकड़ी पर न रिकवरी हुई और न दूसरे अस्पतालों की जांच

आयोग ने कहा - मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल एक माह में दें जवाब

भोपाल शहर के जेपी अस्पताल में पीपीपी मॅाडल के तहत सीटी स्कैन करने वाली फर्म ने फर्जी सीटी स्कैन करके हर महीने लाखों रूपये का नुकसान पहुंचाया है। बीते सितम्बर 2022 में मामला तब पकड़ में आया जब दो लाख के करीब आने वाले महीने का बिल जून माह में सात लाख के पार पहुंच गया। जांच हुई तो हेराफेरी पकड़ में आई। अस्पताल प्रबंधन ने कंपनी की करतूतों का काला चिट्ठा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को सौंप दिया, लेकिन अबतक कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह कंपनी भोपाल के जिला अस्पताल के साथ ही प्रदेश के करीब 23 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन का काम कर रही है। आशंका यह है कि इन जिला अस्पतालों में भी गड़बड़ी हुई होगी। जिम्मेदारों का आलम यह है कि जेपी अस्पताल के मामले में रिकवरी करना तो दूर दूसरे जिलों मे अस्पतालों की जांच करना भी जरूरी नहीं समझा। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल से जेपी अस्पताल में माह सितम्बर 2022 में हुये सीटी स्कैन के बिल में पायी गई अनियमितता के संबंध में की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिये आवंटित बजट कमजोर वर्ग व निर्धन व्यक्तियों के लिये उपयोग होता है उसमें अनियमितता उनके मौलिक मानव अधिकारों में हस्तक्षेप सदृश्य हो सकती है।

चंबल की आंगनबाड़ियां अभी भी छुआछूत की गिरफ्त में

आयोग ने कहा - कलेक्टर व जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, मुरैना एक माह में दें जवाब

मुरैना जिले के वार्ड 24 स्थित उत्तमपुरा की वाल्मीकि बस्ती में रहने वाले 34 परिवारों में छह साल के 80 बच्चे हैं, लेकिन उन्हें आंगनबाड़ी नहीं जाने दिया जाता है। वाल्मीकि समाज के अन्य बस्ती के बच्चे भी यही भेदभाव झेल रहे हैं। वाल्कीकि बस्ती में रहने वाली एक गर्भवती का कहना है कि उनका नौवां महीना चल रहा हैपर गोदभराई के लिये भी कभी नहीं बुलाया जाता। एक समजासेवी का कहना है कि यहां 100 से ज्यादा बच्चे छुआछूत के शिकार हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर व जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, मुरैना से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है।

तीन दर्जन कर्मचारियों के साथ अन्याय, काम कुशल का, वेतन अकुशल का

आयोग ने कहा - कमिश्नर, लैंड रिकॅार्ड एण्ड सेटलमेंट एक माह में दें जवाब

भोपाल शहर के डिप्टी कमिश्नर, लैंड रिकॅार्ड कार्यालय में बीते 25 साल से तीन दर्जन कर्मचारी कुशल श्रमिक का कार्य कर रहे हैं। अधिकारियों की मनमर्जी देखें कि इन्हें अकुशल का वेतनमान दिया जा रहा है। जबकि इसके लिये कई बार अधिकारियों को ज्ञापन दिये जा चुके हैं। मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष का कहना है कि करीब 40 कर्मचारी हैं, जिनसे काम कुशल का लिया जा रहा है। यह कर्मचारी इस पद पर कार्य करने की सभी योग्यताएं भी रखते हैं लेकिन उन्हें अकुशल का वेतन दिय जा रहा है। वहीं दूसरी ओर ग्वालियर लैंड रिकॅार्ड कार्यालय में 95 कर्मचारी अकुशल हैं, फिर भी उन्हें कुशल का वेतन देने की शुरूआत कर दी है। इस प्रकार अन्याय होने के कारण कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। मामले में आयोग ने कमिश्नर, लैंड रिकॅार्ड एण्ड सेटलमेंट, मोतीमहल, ग्वालियर से प्रकरण की जांच कराकर एक माह मे तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है।

 

लिखें और कमाएं        
मध्यप्रदेश के पत्रकारों को खुला आमंत्रण आपके बेबाक और निष्पक्ष समाचार जितने पढ़ें जाएंगे उतना ही आपको भुगतान किया जाएगा 1,500 से 10,000 रुपए तक हर माह कमा सकते हैं अगर आप इस आत्मनिर्भर योजना के साथ जुड़ना चाहते हैं तो संपर्क करें:
गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
9009155999

 

 

 

 

 

Share:


Related Articles


Leave a Comment