अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से हुई नवजात की मौत….

खबर नेशन / Khabar Nation  

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने सात मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विदिशा जिले की सिरोंज तहसील के शासकीय राजीव गांधी अस्पताल में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से एक नवजात की मौत हो जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के मुताबिक ग्राम गोपालगढ़ के रहने वाले पीड़ित परिजनों ने बताया कि उनकी बहू रामश्री बाई की प्रसूति तड़के चार बजे के करीब घर पर ही हुई थी। परिजन जांच करवाने के लिये शासकीय राजीव गांधी अस्पताल लेकर गये। जहां मैडम ने उनसे रिश्वत के एवज में तीन हजार रूपये ले लिये। इसके बाद परिजन नवजात को आईसीयू में ले जाने लगे इसी बीच नवजात की मौत हो गई। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने शिवपुरी जिले में तीन साल से वेतन को भटक रही महिला की मौत हो जाने संबंधी घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के मुताबिक आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित अशासकीय अनुसूचित जाति बालक छात्रावास शिवपुरी एवं करैरा में कार्यरत रसोईया बसंती बाई जिला कलेक्ट्रेट, शिवपुरी में बीते मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर से तीन साल से कागजों में अटका वेतन मांगने आई थी। बसंती बाई को तीन साल का वेतन जल्द दिलाने का आश्वासन कलेक्टर, शिवपुरी ने दिया था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से महिला की मौत हो गई। मामले में आयोग ने आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग, भोपाल एवं कलेक्टर, शिवपुरी से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही पूछा है कि 01. बताये गये कर्मचारियों का वेतन तीन साल से क्यों नहीं दिया गया ? 02. वेतन अदायगी में हो रहे अनुचित विलम्ब के लिये किस अधिकारी/कर्मचारी की उपेक्षा है ? एवं बसंती बाई की मृत्यु तीन वर्ष से वेतन न मिलने के कारण आर्थिक कठिनाईयों में होना बताया गया है, इस संबध में स्थिति स्पष्ट कर अपना पक्ष रखें।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने बड़वानी जिले के पानसेमल क्षेत्र में रामगढ़ की पहाड़ियों के बीच 10 साल से झोपड़ी में चल रहे स्कूल संबंधी खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक बड़वानी जिले के पानसेमल क्षेत्र में रामगढ़ की पहाड़ियों के बीच 10 साल से झोपड़ी में चल रहे स्कूल एवं शिक्षक पांच किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं। झोंपड़ी में संचालित यह स्कूल रामगढ़ की पहाड़ियों से चारों ओर से घिरा है। स्कूल में करीब 30 बच्चे दर्ज हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, बड़वानी से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने डिंडौरी जिले में बेटी द्वारा अपने गैंगरीन पीड़ित पिता को कंधे पर लादकर इलाज कराने के लिये भटकने संबंधी घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार अमरपुर विकासखंड के बिलगवां गावं निवासी शिवप्रसाद वनवासी पिछले सात माह से गैंगरीन से पीडित हैं। शिवप्रसाद के इलाज के लिये उनकी बेटी रंजीता पढ़ाई छोड़कर अपने भाई के साथ अपने पिता को कंधे पर लादकर दद-दर भटक रही है। मामले में आयोग ने कलेक्टर, डिंडौरी से प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में नगर निगम द्वारा शौचालय निर्माण न कराने के कारण वार्ड नं 55 के निवासी खुले में शौच जाने के लिये मजबूर होने संबंधी खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के अनुसार भोपाल शहर के भेल क्षेत्र, वार्ड क्र. 55 के अमराई बस्ती के निवासी नगर निगम द्वारा शौचालय निर्माण न कराने के कारण वार्ड खुले में शौच जाने के लिये मजबूर हैं। बस्ती के निवासियों ने कई बार नगर निगम कार्यालय में आवेदन दिया, किंतु नगर निगम ने आज तक शौचालय का निर्माण नहीं किया है। मामले में आयोग ने आयुक्त नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने झाबुआ जिले के कालीदेवी-छापरी मार्ग पर स्थित रपट टूट जाने के कारण ग्रामीण को परेशानी होने संबंधी मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक झाबुआ जिले के कालीदेवी-छापरी मार्ग पर स्थित सुनार नदी पर वर्षों पूर्व बनी रपट दो साल पहले भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी। वर्तमान में मार्ग पर आवागमन बंद है, जिस कारण ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर, झाबुआ से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने गुना जिले के कंचनपुरा प्राथमिक स्कूल में बच्चों द्वारा पढ़ने से पहले झाडू लगाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुना जिले के कंचनपुरा प्राथमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ने के लिये झाडू लगानी पड़ती है। स्कूल का दरवाजा खुलते ही शिक्षक बच्चों को झाडू थमा देते हैं। बच्चों का कहना है कि अगर हम झाडू नहीं लगाते तो मास्टर जी नाराज हो जाते हैं। मामले में आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारी, झाबुआ से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

 

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