75वां अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस

खबर नेशन / Khabar Nation

हम सब मिलकर ऐसे भारत का निर्माण करें, जहां सबको उनका अधिकार मिले - चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सारंग हम संवेदनशील बने और दिव्यांगजनों का सहयोग करें, उन्हें संबल दें - न्यायमूर्ति श्री गुप्ता

अधिकारों के साथ-साथ सबको अपने कर्तव्यों का भी बोध होना चाहिए - न्यायमूर्ति श्री चैहान

मानव अधिकारों का संरक्षण कल्याणकारी राज्य का उत्तरदायित्व है - कार्यवाहक अध्यक्ष श्री ममतानी

अतिथियों ने मंच से नीचे उतरकर किया प्रतिभाशाली दिव्यांग खिलाड़ियों का सम्मान

विषय आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया

हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जहां हर नागरिक को उसका वाजिब हक मिले। हमारी संस्कृति सदियों से सेवा की संस्कृति रही है। हम अपने साथी दिव्यांगजनों की सेवा और उन्हें उनका पूरा हक दिलाने के मामले में हमेशा आगे ही रहे हैं और यह प्रयास सतत् रूप से जारी है। हम सब समाज की सुव्यवस्था के लिए काम कर हरे हैं। इसलिए संकल्प लें की एक मानव के रूप में हमसे जिस स्तर की संवेदनशीलता की अपेक्षा है, हम उस पर खरा उतरेंगे। मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा व भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के माननीय मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग ने इस आशय उद्गार व्यक्त किये। मंत्री श्री सारंग 75वें अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा 10 दिसम्बर को आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का केन्द्रीय विषय ‘‘दिव्यांगजनों के मानव अधिकार‘‘ था। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सारंग ने सभी को मानव अधिकार शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम के दौरान ही मंत्री श्री सारंग व अन्य अतिथि न्यायमूर्तिगणों ने मंच से नीचे उतरकर प्रतिभाशाली दिव्यांग खिलाड़ियों एवं दिव्यांगजनों के हित में कार्य करने वाले स्वयंसेवी संगठन/संस्था संचालकों व अन्य प्रतिभाशाली दिव्यांगजनों का प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। इस अवसर पर दिव्यांगजनों के अधिकारों व राज्य शासन द्वारा दिव्यांगजन हित में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी से ओतप्रोत मप्र मानव अधिकार आयोग के अधिकारियों के आलेखों की ‘‘दिव्यांगजनों के मानव अधिकार” पुस्तिका का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने की। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश माध्यस्थम अधिकरण के माननीय अध्यक्ष न्यायामूर्ति जगदीश प्रसाद गुप्ता, रेरा अपीलेट अथॅारिटी के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीपीएस चैहान, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन, आयोग के पूर्व सदस्य सरबजीत सिंह, अन्य न्यायाधीशगण, सचदेवाजी, गोरानीजी, राजकुमारजी सहित आयोग के अन्य सभी अधिकारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में मप्र शासन के सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, आयुक्त निःशक्तजन, मध्यप्रदेश, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, पंचायतराज एवं ग्रामीण विकास विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, लोक निर्माण विभाग सहित दिव्यांगजनों के हित के लिए कार्य कर रहे भोपाल व प्रदेश के अन्य जिलों के स्वयं सेवी संगठनों के पदाधिकारी एवं दिव्यांगजनों ने भी प्रतिभागी के रूप में सहभागिता की।        

मुख्य अतिथि चिकित्सा मंत्री श्री सारंग ने कहा कि हम सब केवल अपने अधिकारों की ही बात न करें, सबको अपने कर्तव्यों का भी भान होना चाहिए। उन्होंने मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर दिव्यांगजनों के मानव अधिकार विषय चुनने के लिए बधाई दी और कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की थीम ‘‘सबको न्याय मिले, सबको स्वतंत्रता और गरिमा के साथ जीने का अधिकार मिले‘‘ रखी है जो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा दिव्यांगजनों के हित में जो भी अनुशंसा शासन को की जायेगी, उसका पालन सुनिश्चित किया जायेगा।                                          
विशिष्ठ अतिथि मध्यप्रदेश माध्यस्थम अधिकरण के माननीय अध्यक्ष न्यायामूर्ति जगदीश प्रसाद गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांगजनों के अधिकारों के हम सभी को संवेदनशील बनना होगा। हम दिव्यांगजनों का सहयोग करें और उन्हें संबल दें। उन्होंने कहा कि हर स्तर पर दिव्यांगता का चिन्हांकन होना चाहिए। हर प्रकार की दिव्यांगता के लिए अलग योजना होनी चाहिए। दिव्यांगजनों द्वारा अपनी दिव्यांगता दिखाकर दया और सहानुभूति अर्जित करने की मानसिकता बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण तभी हो सकता है, जब उनके एक सामान्य इंसान की तरह जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का संरक्षण हो। भारत सरकार द्वारा अब 21 प्रकार की दिव्यांगता को अधिसूचित कर दिया गया है, यह एक अच्छी शुरूआत है।

विशिष्ठ अतिथि रेरा अपीलेट अथॅारिटी के माननीय अध्यक्ष न्यायामूर्ति वीपीएस चैहान ने अपने संबोधन में कहा कि जन्मजात अधिकार ही मानव अधिकार होते हैं। इसके बाद व्यक्तिगत, कानूनी और संवैधानिक अधिकार भी हमें प्राप्त होते हैं। परंतु सिर्फ अधिकारों की ही बात न हो, हम सभी को अपने कर्तव्यों का भी बोध होना चाहिए। हमें अपने कार्य, व्यवहार, आचरण व शब्दों से ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे किसी दिव्यांग में हीन भावना आये। इसके लिये हमें अपने घर में, समाज में और अपने आस-पास ऐसा वातावरण तैयार करना होगा।

अध्यक्षयीय उद्बोधन में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने सभी को 75वें अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की शुभकामनायें देते हुए कहा कि मानव अधिकारों का संरक्षण प्रत्येक कल्याणकारी राज्य का प्रथम उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन हमारे समाज के विशेषजन होते हैं। इनमें दूसरे मानवों के मुकाबले कुछ विशेष व अतिरिक्त गुण होते हैं। ये विशेष योग्यता सम्पन्न होते हैं। ऐसे मानव शारीरिक अंग/प्रत्यंग की शिथिलता या दौर्बल्य से पीड़ित होकर भी सभी काम पूरी सहजता और सुगमता से कर लेते हैं। यही विशेषता उन्हें और भी विशेष बनाती है। हमारे सामाजिक परिवेश में ऐसे विशेषजनों को विशेष तवज्जो दी जाती है। दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं, वरन् यह प्रकृति की ओर से शरीर में की गई कोई छोटी सी कमी मात्र होती है। इस कमी को इलाज से, सेवा से और कुछ अतिरिक्त प्रयासों से दूर किया जा सकता है। दिव्यांजनों की शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, रोजगार और उनके सहज आवागमन की सभी व्यवस्थायें एक कल्याणकारी राज्य को अनिवार्यतः सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मप्र मानव अधिकार आयोग को स्थापना वर्ष से लेकर 30 नवम्बर, 2022 तक करीब तीन लाख शिकायतें/आवेदन मिले, इनमें से 2.98 लाख शिकायतों/आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। लगभग तीन हजार शिकायतें निराकरण की अंतिम प्रक्रिया में प्रचलित है। मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं को राज्य शासन द्वारा पूरे उत्तरदायित्व के साथ पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण एवं विषय प्रवर्तन करते हुये आयोग के माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने कहा कि दिव्यांगजनों के मानव अधिकार एक बेहद संवेदनशील विषय है। दिव्यांगजनों के हित में हमें एक अच्छे समाज, एक अच्छे वातावरण का निर्माण करना है और ऐसी व्यवस्था निर्मित करना है जिससे सभी दिव्यांगजन लाभांवित हो सके और उनके जीवन में एक नया उजाला आ सके।        

कार्यक्रम के अंत में आयोग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बीबी शर्मा ने आमंत्रित अतिथिगणों, न्यायमूर्तिगणों व न्यायाधीशगणों सहित कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले आयोग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों सहित राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारियों व अन्य प्रतिभागियों का हृदय से आभार ज्ञापित किया। 

कार्यक्रम के दौरान दिव्यांगजनों के लिए कार्य कर रहे राज्य शासन के क्रमशः सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, आयुक्त निःशक्तजन, मध्यप्रदेश, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, पंचायतराज एवं ग्रामीण विकास विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा पीपीटी प्रेजेंटेशन द्वारा अपने विभागीय योजनाओं, कार्यक्रमों व अन्य गतिविधियों की जानकारी दी। नागदा, जिला उज्जैन मप्र की स्वयं सेवी संस्था स्नेह के संस्था संचालक, आरूषि संस्था, भोपाल के संस्था संचालक, सरोजनी नायडू शासकीय कन्या महाविद्यालय, भोपाल के प्रोफेसर डॅा. रोहित त्रिवेदी एवं भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति, इंदौर के समन्वयक अशोक डावले द्वारा कार्यक्रम में पे्ररक उद्बोधन दिया गया। कार्यक्रम के दौरान ही करीब सौ प्रतिभागी दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र भी आयोग द्वारा दिये गये। कार्यक्रम का सफल संचालन आकाशवाणी की उद्घोषिका श्रीमती सुनीता सिंह ने किया।            

दिव्यांग खिलाड़ियों एवं स्वयंसेवी संगठन/संस्था संचालकों का हुआ सम्मान

कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, मध्यप्रदेश माध्यस्थम अधिकरण के माननीय अध्यक्ष न्यायामूर्ति जगदीश प्रसाद गुप्ता, रेरा अपीलेट अथॅारिटी के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीपीएस चैहान, मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं आयोग के माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने दिव्यांग खिलाड़ियों व दिव्यांगजनों के हित में कार्य कर रहे स्वयं सेवी संगठनों के संस्था संचालकों का प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।

इनको मिला सम्मान

01. दिव्यांग खिलाड़ी कु. गौरांशी शर्मा (इन्होंने ब्राजील में इसी साल एक से दस मई, 2022 तक आयोजित हुये डेफ ओलम्पिक में बैडमिंटन खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।)
02. दिव्यांग खिलाड़ी कु. प्राची यादव (इन्होंने टोक्यो पैरा ओलम्पिक, 2020 में क्याकिंग केनोइंग (केनो स्प्रिंट) इवेन्ट में भारत का प्रतिनिधित्व कर फाईनल में पहुंचीं।)
03. दिव्यांग खिलाड़ी मनीष कुमार (ये विक्रम अवार्डी प्लेयर हैं और इन्होंने एआरएम रेसलिंग में नेशनल और इंटरनेशनल आर्म रेसलिंग में गोल्ड, सिल्वर मेडल सहित टाॅप टेन रैंक प्राप्त की है।)
04. दिव्यांग खिलाड़ी सुमन्त काले (इन्होंने स्पेशल ओलम्पिक, भारत में बैडमिंटन/तैराकी स्पर्धा मेडल प्राप्त करने सहित टाॅप फाईव रैंक प्राप्त की है।)
05. स्पेशल नीड ऐज्यूकेशन होम (स्नेह), नागदा, जिला उज्जैन के संस्था संचालक पंकज मारू (इनकी संस्था मानसिक रूप अविकसित दिव्यांगजनों के हित में वर्ष 2009 से सराहनीय कार्य कर रही है।)
06. आरूषि संस्था, जिला भोपाल के संस्था संचालक श्री अनिल मुद्गल (इनकी संस्था सभी प्रकार की दिव्यांगता से पीड़ित बच्चों के हित में वर्ष 1989 से सराहनीय कार्य कर रही है।)
07. सरोजनी नायडू शाससकीय कन्या महाविद्यालय, भोपाल के प्रोफेसर डॅा. रोहित त्रिवेदी (आप स्वयं दिव्यांग हैं, आरूषि संस्था से जुड़े हैं और अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़कर आप बालिकाओं को शिक्षा देने के पुनीत कार्य में सेवारत् हैं।)
08. भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति, जयपुर (राजस्थान), जिसे हम जयपुर फुट्स के नाम से जानते हैं, इस संस्था के फाउण्डर एण्ड चीफ पेट्रन डीआर मेहता (यह संस्था बड़े लम्बे अर्से से दिव्यांगजनों के लिए कृत्रिम उपकरणों के निर्माण एवं वितरण के पुनीत कार्य में संलग्न है। डीआर मेहता की ओर से जयपुर फुट्स की दूसरी शाखा भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति, इंदौर के समन्वयक अशोक डावले ने यह सम्मान प्राप्त किया।)
09. एलिम्को, उज्जैन के श्री राजेश दुबे, यह शासकीय संस्था दिव्यांगजनों के कृत्रिम उपकरण निर्माण एवं वितरण का कार्य करती है।

कार्यक्रम के दौरान ही ली गई मानव अधिकार शपथ 
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान मानव अधिकार शपथ भी ली गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा व भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के माननीय मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने सभी को मानव अधिकार शपथ दिलाई। उन्होंने शपथ का वाचन किया और सभी अतिथियों व प्रतिभागियों ने शपथ दोहराई। ली गई शपथ इस प्रकार थी:-

’’मैं निष्ठापूर्वक शपथ लेता हूं/लेती हूं,
कि मैं भारत के संविधान तथा भारत में अंगीकृत एवं क्रियान्वित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा संरक्षित मानव अधिकारों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा/रखूंगी,
यह कि इन अधिकारों के संरक्षण के लिये अपने सभी कत्र्तव्यों का पालन करूंगा/करूंगी,
यह कि सभी लोगों के मानव अधिकारों तथा आत्म-गौरव का बिना किसी भेदभाव के सम्मान करूंगा/करूंगी,
यह कि मैं प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से शब्दों, कार्यों अथवा विचारों के द्वारा दूसरों के मानव अधिकारों का हनन नहीं करूंगा/करूंगी और
यह कि मैं मानव अधिकारों की प्रगति तथा उनके संरक्षण के लिये सदा कत्र्तव्यबद्ध रहूंगा/रहूंगी।’’

 

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