भोपाल शहर में एक बुजुर्ग को उनकी धर्मपत्नी और दो बेटों द्वारा प्रताड़ित किये जाने के प्रकरण पर आयोग ने लिया संज्ञान

खबर नेशन / Khabar Nation

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पांच मामलों में संज्ञान लिया है। आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में एक बुजुर्ग को उनकी धर्मपत्नी और दो बेटों ने मारपीट कर घर से निकाल देने और घर बेचने की तैयारी करने के कारण बुजुर्ग को घर गैराज में सोने को मजबूर होने की एक घटना पर संज्ञान लिया है। भोपाल शहर के नेहरू नगर निवासी बुजुर्ग चिमनदास शिवनानी (74 वर्ष) ने एल्डर लाईन, कमला नगर थाने और एसडीएम सहित अन्य फोरम में भी शिकायत की है। बुजुर्ग ने उन्हें अपने बेटे और धर्मपत्नी की प्रताड़ना से बचाने का अनुरोध किया है। मामला एसडीएम कोर्ट में चल रहा है। मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल एवं कलेक्टर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का 15 दिन में प्रतिवेदन (जवाब) मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने विदिशा जिले की सिरोंज तहसील के ग्राम सुमेरपुर के निवासियों द्वारा आज भी अंधेरे में जीवन-यापन करने को मजबूर होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। राज्य सरकार की अटल ज्योति योजना का लाभ लेने के लिए ग्राम सुमेरपुर के ग्रामवासी बीते मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे। उन्होंने बताया कि बिजली को लेकर वे काफी परेशान हैं। उन्होंने अपने गांव में आजतक लाईट नहीं देखी है। गांव में 50 से अधिक घर हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक यहां लाईट के लिये कोई प्रयास नहीं किये। मामले में आयोग ने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन (जवाब) मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर जिले की एक दर्दनाक घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार तीन युवकों ने एक 72 वर्षीय बुजुर्ग की लाठियों और राॅड से पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद बुजुर्ग के घर को आग भी लगा दी। घटना ग्वालियर जिले के ररूआ गांव की है। यहां श्री अमर सिंह परिहार जब आरोपियों के घर के सामने से गुजर रहे थे, तो तीन युवकों बिहारी कुशवाहा, नीरज कुशवाहा और गौतम कुशवाहा ने अमर सिंह पर लाठियों एवं डण्डों से हमला कर दिया। अमर सिंह के परिजनों ने तत्काल तीनों की पुलिस में शिकायत कर दी। इससे गुस्साये तीनों युवकों ने अमर सिंह के घर में आग लगा दी। इससे घर में रखे दो गैस सिलेण्डर ब्लाॅस्ट हो गये। घर में रखा सारा सामान भी जल गया। अमर सिंह की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, ग्वालियर से जवाब मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने बैतूल जिले की नगर परिषद भैंसदेही के वार्ड क्र. 11 के वार्डवासियों को बेहद गंदगी के बीच रहने से परेशान होकर खुद के खर्चे पर नालियों की सफाई करवाने की घटना पर संज्ञान लिया है। इस वार्ड में नगर परिषद द्वारा पक्की नालियों का निर्माण नहीं किया गया है। अभी भी कच्ची नालियों से ही पानी की निकासी हो रही है। नगर परिषद के सफाई कर्मी इस वार्ड में सफाई के लिये नहीं आते, वार्ड की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चैपट है। इसके चलते वार्डवासी अपने खर्चे पर ही नालियों की सफाई करा रहे हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर, बैतूल से जवाब मांगा है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने बड़वानी जिले के सेंधवा में रोजगार की तलाश में परिवार सहित महाराष्ट्र जा रहे मजदूरों से भरी एक ट्रेक्टर-ट्राली के पलटने से कोकली पंचायत के पांच लोगों की मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। घटना के चश्मदीद गवाह सुनील गंगाराम ने बताया कि ट्रेक्टर-ट्राली में 40 लोग सवार थे। रात में बारिश हुई थी। सड़क पर भारी कीचड़-पानी था। चालक का संतुलन बिगड़ा और यह हादसा हो गया। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, बड़वानी से जवाब मांगा है।

मृत बंदी के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति दें
आयोग ने की अनुशंसा

मप्र मानव अधिकार आयोग ने थाने के लाॅक-अप में बंदी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के मामले में मृत बंदी के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति देने की अनुशंसा सचिव, भारत सरकार, रेल मंत्रालय, रेल्वे बोर्ड, रेल भवन, रायसीना रोड़, नई दिल्ली एवं महानिदेशक, रेल्वे सुरक्षा बल, भारत सरकार, रेल मंत्रालय, रेल्वे बोर्ड, रेल भवन, रायसीना रोड, नई दिल्ली को की है। मामला सतना जिले का है। यहां 9 जून 2021 को आरपीएफ थाना, सतना के लाॅक-अप में अभिरक्षा में लिये गये बंदी आदित्य पासी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई थी। आयोग ने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर एवं मृतक की माता श्रीमती मुन्नी पासी द्वारा की गई शिकायतों पर संज्ञान लेकर कुल तीन प्रकरण (प्र.क्र.3541/सतना/2021, प्र.क्र.4561/रीवा/2021 एवं प्र.क्र.7164/रीवा/2021) दर्ज किये थे। आयोग ने मामले की निरंतर सुनवाई की। अंततः उपरोक्त दोनों अधिकारियों को अनुशंसा की है कि मृत बंदी की माता को पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति दी जाये, क्योंकि रेल्वे सुरक्षा बल के लोकसेवकों की उपेक्षा के कारण ही बंदी के मौलिक/मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ। आयोग ने कहा है कि भारत सरकार चाहे, तो यह राशि दोषी लोकसेवकों से वसूल कर सकता है। आयोग ने यह भी कहा है कि भारत सरकार का रेल मंत्रालय/महानिदेशक, रेल्वे सुरक्षा बल के थानों/पोस्ट पर रखे जाने वाले बंदियों की सुरक्षा के संबंध में धारा-55ए दण्ड प्रक्रिया संहिता के स्पष्ट वैधानिक प्रावधान और ऐसे बंदियों को भी प्राप्त जीवन जीने के मौलिक/मानव अधिकार के मद्देनजर स्पष्ट निर्देश जारी करे, जिससे अभिरक्षा के दौरान ऐसे थानों/पोस्ट तथा उनके लाॅक-अप में अभिरक्षा में रहने के दौरान बंदियों पर निरन्तर संबंधित पुलिस बल अपेक्षित सतर्कता और सजगता से नजर रख सकें। इस संबंध में आवश्यकतानुसार ऐसे रेल्वे सुरक्षा बल के थाना/पोस्ट/चैकियों पर सीसीटीव्ही कैमरों का उपयोग भी लाॅक-अप में दाखिल बंदियों पर निरन्तर नजर रखे जाने हेतु किया जाये, जिससे ऐसे सीसीटीव्ही कैमरा से संबंधित टी.वी. स्क्रीन/माॅनीटर पर निरन्तर सजगता और सतर्कता से बंदियों की देखभाल सुनिश्चित हो सके।

 

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