खंभों पर ऊपर से नीचे तक फैला बिजली के केबलों का मकड़जाल

खबर नेशन / Khabar Nation  

मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने ’चार मामलों में संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

भोपाल के पुराने शहर के मोती मस्जिद चैराहे और इब्राहिमपुरा बैंड मास्टर चैराहे पर स्थापित खंभों पर बड़ी संख्या में विद्युत विभाग और निजी कंपनियों के केबल्स का मकड़जाल फैला है। चैराहे पर प्राचीन इमारत के सहारे भी केबल लटकी है। सड़क पर पड़े तार अक्सर वाहनों से उलझकर टूट जाते हैं। इस लापरवाही के चलते कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। क्योंकि वाहनों के अलावा पैदल चलने वाले लोग भी रोड़ पर बिखरी इन केबल्स के बेहद करीब से गुजरते हैं। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने उपरोक्त समस्या के संबंध में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक जिम्मेदार एजेंसी द्वारा घोर लापरवाही की जा रही है, क्योंकि केबल्स को व्यवस्थित करवाना चाहिए। आयोग ने कार्यपालन यंत्री, मप्र मध्य क्षेत्र विविकंलि, भोपाल से मामले की जांच कराकर कार्यवाही का 15 दिन में जवाब मांगा है।

स्कूली छात्रा का रास्ता रोककर अश्लील हरकत

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल में एक स्कूली छात्रा का रास्ता रोककर उसके साथ अश्लील हरकत किये जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना गोविंदपुरा क्षेत्र की है। यहां आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा को उसी के मोहल्ले में रहने वाला प्रदीप वर्मा काफी दिनों से पीछा कर उसे परेशान कर रहा था। बीते बुधवार को प्रदीप ने छात्रा का रास्ता रोक लिया और अश्लील हरकत की। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से 15 दिन में जवाब मांगा है।

यहां महज 20 रूपये में मिलता है मौत का सामान...!

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के इतवारा इलाके में नशे का कारोबार बढ़ने और नौजवान युवक-युवतियों द्वारा नशाखोरी कर अपने जीवन से खिलवाड़ करने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक इतवारा इलाके में महज 20 रूपये में गांजे की छोटी पुड़िया पान की गुमठियों पर बड़ी आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा 30, 40 और 50 रूपये की गांजे की पुड़िया भी आसानी से मुहैया हो जाती है। चरस की छोटी सी गोली 50 से 100 रूपये में मिल जाती है। पुलिस ने कार्यवाहियां तो की हैं, पर कुछ दिन बाद नशा कारोबारी फिर से सक्रिय हो जाते हैं। आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

जिंदा होने का प्रमाण लिये भटक रहा किसान

मंदसौर जिले का एक किसान बीते दो सालों से अपने जिंदा होने का प्रमाण लिये घूम रहा है, पर कोई उसे जिंदा नहीं मान रहा है। इस वजह से उसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। हुआ यूं कि जिले के मल्हारगढ़ के नागर पिपल्या के किसान प्रभूलाल खारोल को किसान सम्मान निधि योजना से पहले चार किस्त मिलीं थीं। बाद में नापाखेड़ा पटवारी ने उन्हें योजना में मृत बता दिया। अब किसान खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेकर कलेक्टर, मंदसौर से प्रकरण की जांच कराकर पीड़ित व्यक्ति की समस्या के समाधान के लिये की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

विचाराधीन व दंड़ित बंदियों ने जेल में की आत्महत्या

आयोग ने की अनुशंसा - दोनों मृतकों के वैध वारिसों को पांच-पांच लाख रूपये दो माह में दे दें

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सर्किल जेल रतलाम एवं केन्द्रीय जेल भोपाल में क्रमशः एक-एक विचाराधीन व दंड़ित बंदियों द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के मामले में राज्य शासन से अनुशंसा की है कि दोनों मृतकों के वैध वारिसों को पांच-पांच लाख रूपये (कुल दस लाख रूपये) क्षतिपूर्ति राशि अगले दो माह में भुगतान कर दी जाये। मामला रतलाम व भोपाल जिले का है। सर्किल जेल रतलाम में 25 मार्च 2020 को एक विचाराधीन बंदी भारत सिंह जस्सू उर्फ जसवंत ने जेल की टाॅयलेट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सूचना मिलने पर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 2264/रतलाम/2020 दर्ज कर लिया। इसी प्रकार केन्द्रीय जेल भोपाल में 26 जून 2021 को दंड़ित बंदी खेमचंद अहिरवार द्वारा जेल के नवीन वार्ड क्र. 6 के टाॅयलेट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई थी। सूचना मिलने पर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 3977/भोपाल/2021 दर्ज कर लिया। दोनों ही मामलों में आयोग ने पाया कि विचाराधीन व दंड़ित बंदी की जीवन सुरक्षा व उनके मानव अधिकारों के संरक्षण के मामले में जेल प्रबंधन द्वारा घोर लापरवाही की गई। जेल प्रबंधन की उपेक्षा को रेखांकित करते हुये अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि अभिरक्षा के दौरान बंदियों पर विशेष निगरानी रखें, जिससे उन्हें आत्महत्या कर सकने का कोई अवसर ही न मिले।

महिला थाना प्रभारी ने गर्भवती को पेट में मारी लात, गर्भपात से खून से लथपथ हुआ थाना

आयोग ने अनुशंसा कर कहा - पीड़िता को दस हजार रूपये क्षतिपूर्ति राशि दो माह में अदा करें

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सिंगरौली जिले के एक मामले में राज्य शासन से अनुशंसा की है कि पीड़िता को दस हजार रूपये क्षतिपूर्ति राशि अगले दो माह में भुगतान कर दी जाये। मामला सिंगरौली जिले का है, पर घटना महिला थाना रीवा में हुई थी। आयोग के प्रकरण क्रमांक 2849/सिंगरौली/2022 के अनुसार 23 अप्रैल 2022 को महिला थाना रीवा में थाना प्रभारी निरीक्षक श्रीमती प्रियंका पाठक द्वारा पीड़ित गर्भवती महिला दुर्गावती जायसवाल को बेहद अनुचित एवं अमानवीय तरीके से धक्का दिया गया। फिर थाने के सीसीटीव्ही फुटेज क्षेत्र से अलग ले जाकर उसे थाने के ही कम्प्यूटर कक्ष में ले जाया गया और उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। महिला थाना प्रभारी द्वारा पीड़िता के पेट पर लात मारने के कारण उसका गर्भपात हो गया। एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेकर आयोग ने पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा था। पुलिस अधिकारियों के जवाब से असहमत होकर अंततः यह अनुशंसा की है कि महिला थाना में पीड़िता के मौलिक व मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ। इसलिए राज्य शासन पीड़िता को दस हजार रूपये मुआवजा राशि दो माह में भुगतान करे। इस प्रकरण में यह तथ्य भी सामने आया है कि आरोपित महिला थाना प्रभारी पर दस हजार रूपये का अर्थदंड लगाया जा चुका है। 

 

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